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४. देवों द्वारा इस रूप में तेजहीनता दर्शन । चक्री का वैराग्य व प्रव्रज्या । व्याधियों की उत्पत्ति । सर्वौषधि ऋद्धि होने पर भी उपचार की उपेक्षा । देव सभा में इन्द्र द्वारा परीषह-सहन की स्तुति ।
५. देवों का परीक्षार्थं वैद्यों के वेष में प्रागमन । व्याधिहरण का प्रस्ताव | मुनि द्वारा दैहिक व्याधियाँ नहीं किन्तु संसार रूप व्याधि के अपहरण की इच्छा । देवों द्वारा अपना असामर्थ्यं प्रकट कर गमन । सनत्कुमार का कर्मक्षय व निर्वाण परीवह सहन पर एणिकापुत्र कथा । श्रानन्द नगर, आनन्द वणिक्, नन्दा सेठानी पद्मावती श्रादि सात सात पुत्रियाँ । सातवीं पुत्री एणिका । सागरदत्त से विवाह । पुत्र एणिकापुत्र । वीरजिनेन्द्र का आगमन । अल्पायु कथन । मुनि दीक्षा । विहार गंगापार जाने हेतु नावारोहण । नौका डूबी 1 जल समाधि । मोक्ष | भूख-प्यास परीषह सहन पर भद्रबाहु कथा । पुण्ड्रवर्धन देश, देवीकोट्ट पुर, सोमशर्मा ब्राह्मण । पुत्र भद्रबाहु । गोली क्रीड़ा । गोवर्धन मुनि का आगमन व भद्रबाहु द्वारा चौदह गोलियों को एक पर एक पंक्तिबद्ध खड़ा करने के आश्चर्य का दर्शन ।
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८. मुनि द्वारा चतुर्दश पूर्व ज्ञाता अन्तिम श्रुत केवली होने का निमित्त ज्ञान । मातापिता से अध्यापनार्थ मांग | पढ़ाकर गृह-प्रेषण । आकर मुनि दीक्षा । श्रुतरूपी समुद्र का पारगामी ।
गोवर्धन गुरु का स्वर्गवास । भद्रबाहु संघपति । विहार । उज्जैनी आगमन, शिप्रातट वास । राजा चन्द्रगुप्त द्वारा वन्दना । भिक्षा भ्रमण | पालना भूल बालक द्वारा जाइये, जाइये, वाणी । बारह वर्ष दुर्भिक्ष का निमित्त ज्ञान व संघ को घोषणा ।
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१०. पूर्णायु होने से स्वयं न जाने का निर्णय व संघ को समुद्र के समीप देश को जाने का श्रादेश । चन्द्रगुप्त नृप की दीक्षा । दशपूर्वी विशाखदूत का गण सहित द्रविड़ देश गमन । रामिल्ल, स्थूलभद्र, व स्थविर प्राचार्यों का अपने-अपने मुनि - संघों सहित सिन्धुदेश गमन । स्थविर समन्तभद्र का वृद्धत्व के कारण वन में निवास । केवल नवदीक्षित भद्रबाहु उनकी सेवा में ।
११. लघु मुनि का भिक्षार्थ भ्रमण । वनदेवता द्वारा पड़गाहन । श्राहार न से निवेदन ।
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गुरु द्वारा प्रशंसा । वनदेवी द्वारा माया नगर रचना । एक भवन में आहार । गुरु द्वारा अनुमोदन | गुरु का स्वर्गवास । लघुमुनि का निषद्या सेवन । १३. सिंधु देश में दुर्भिक्ष | लोक त्रास के कारण रात्रि में भिक्षा लेकर अपनी वसति में भोजन की श्रावकों द्वारा मुनियों से प्रार्थना । श्रापत्कालीन स्वीकृति । १४. एक मुनि का रात्रि में भिक्षार्थ भ्रमण | देखकर भयभीत श्राविका का गर्भपात । श्रावकों की निर्ग्रन्थ रूप त्यागकर वामस्कंध पर श्राधारित अर्धफालिक वस्त्र से शरीर व भिक्षापात्र ढंककर दाहिने हाथ में दंड रखकर चर्या की प्रार्थना । मुनियों की स्वीकृति ।
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लेकर गुरु
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