________________
५३१
५३२
५३२
५. शकटाल मंत्री द्वारा छल से स्वामी नन्द के वेष में नमुचि) को मद्यपान ।
रोष से सकुटुम्ब कूप में प्रक्षेप । सागरदत्त की पत्नी सुभद्रा पर मोहित होकर
एक भूत का सेठ के वेष में गृह-प्रवेश । विवाद । निर्णय में सबका असमामर्थ्य ।। ६. राजसभा में विवाद । शकटाल का स्मरण । कूप से निष्कासन । पिशाच की
पहिचान व मंत्र से निराकरण । राजा द्वारा पुनः अधिकार प्रदान । एक दिन राजा द्वारा वररुचि को श्लोक का चतुर्थ चरण देकर प्रथम तीन चरणों की पूर्ति की समस्या प्रदान । वररुचि द्वारा समस्या-पूर्ति । अन्य भी काव्य रचना । राजा की प्रसन्नता व संगति । शकटाल की ईर्ष्या । रानी से संबंध बताकर राजा को उत्तेजित करना वररुचि को प्राणदण्ड ।। आरक्षी द्वारा विद्वान् जानकर वररुचि का मोचन व राजा को वररुचि को प्राणदण्ड दे देने की असत्य सूचना । वररुचि का पलाशकूट ग्राम म छिपकर निवास । अश्व द्वारा राजपुत्र सुनन्द का अपहरण व वन में मोचन । रात्रि में रक्षार्थ वृक्षारोहण । व्याघ्र के भय से रीछ का पाकर उसी वृक्ष पर वास
व राज कुमार को आश्वासन । व्याघ्र का वहीं आगमन । ___ व्याघ्र की क्षुधाशान्ति निमित्त रीछ से मनुष्य को नीचे गिराने की याचना ।
रीछ द्वारा शरणागत के घात का निषेध । दूसरे प्रहर रीछ के सोने व कुमार के जागने की बारी । व्याघ्र द्वारा कुमार से रीछ को गिराने की याचना । कुमार द्वारा निषेध । व्याघ्र का भाग्रह व भय की सूचना । कुमार द्वारा रीछ को गिराना। शाखाओं में उलझने से रीछ की रक्षा । रीछ द्वारा राजपुत्र को शाप-उन्ने वा ते' आदि दश अक्षरों को छोड़ अन्य भाषणशक्ति व बुद्धि का
नाश एवं शापमोचन का वरदान । ११. राजकुमार का गृहागमन व केवल उक्त दश अक्षरों का उच्चारण । अर्थज्ञाता
का अभाव । राजा का पलाशकूट ग्राम पर रोष व प्राम-वासियों को नभस्तल में चलते हुए जल को लाने का प्रादेश । ग्रामीणों की चिन्ता । वररुचि द्वारा प्रोस जल से भरे घट भिजवाना । ग्राम में विदेशी विद्वान् की सूचना । राजा ने नृपकूप मंगाया व अन्य प्रसंभव कार्यों का पादेश दिया व यथोचित प्रत्युत्तर पाया । विलक्षण रीति से उस विदेशी विद्वान् को पाकर राजा से मिलने का मादेश और वररुचि द्वारा पालन । राजपुत्र द्वारा उच्चारित प्रक्षरों का वररुचि द्वारा यथोचित प्रथं व प्रात्म-परिचय । कुमार का स्वास्थ्य-लाभ
व वररुचि का पूर्ववत् पद-ग्रहण ।। १३. तीनों की शाप मुक्ति व स्वपद-प्राप्ति । महापद्म मुनि का प्रागमन । शकटाल
की दीक्षा। बिहार । पुनरागमन । वररुचि द्वारा पूर्व वैर के कारण प्रपंच से
राजा को रोषोत्पादन । १४. शकटाल का छुरी से उदर-विदारण व समाधिपूर्वक मरण कर स्वर्ग गमन ।
यथार्थ बात जानकर राजा द्वारा वररुचि को निर्वासन । महापद्म मुनि से दीक्षा।
५३४
५३४
१२.
५३४
५३६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org