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१३. सुभद्रा नाम की प्रधान भैंस । सात बार भैस के पाड़ों का जन्म होते ही गोविन्द
गोपाल द्वारा भक्षण । आठवीं बार पाड़े का जन्म । भैंस का उसको चाटना।
गोपाल द्वारा अभयदान । पाड़े का नकुल नामकरण । लोगों का विनोदकारी। १४. पाड़े का सेठ को नमस्कार । सेठ की प्रसन्नता । राजा को प्रदर्शन । राजा द्वारा
हाट हाट में उसके लिये खाद्य व्यवस्था । वणिक् पुत्र द्वारा चोरी । नकुल भैसे पर दोषारोपण । तप्त लोह की दिव्य परीक्षा द्वारा भैंसे की निर्दोषता सिद्ध ।
भद्रक नामकरण । अशोक वन की पुष्पकरिणी में क्रीड़ा। १५. मांसलोलुपी मृगध्वज राजपुत्र द्वारा एक पैर काटकर भक्षण । राजा के समीप
भैंसे की पुकार । नवकार मंत्र पाकर स्वर्गवास । राजा का मृगध्वज को प्राणदंड। मंत्री द्वारा रक्षण । तपग्रहण । केवलज्ञानोत्पत्ति व मंत्रिपुत्र मनःपर्यय ज्ञानी ।
राजा का वन्दनार्थ गमन । १६. महिष-देव का आगमन, सीमंधर राजा की स्तुति व प्रात्मपरिचय । केवली से
वैर के कारण को पृच्छा । अश्वसेन-सेनापति की परम्परा का कथन । राजा की
प्रव्रज्या। १७. लोभकषाय पर कार्तवीर्य की कथा-कोशलपुरी, सहस्त्रबाहु नृप, चित्रमती
रानी, कार्तवीर्य पुत्र । पिता-पुत्र का हाथी पकड़ने वन-गमन । विंध्यवन में यमदग्नि तापस, रेणुका पत्नी, सीताराम और महेन्द्रराम पुत्र । अरिंजय मुनि द्वारा कामधेनु और परशुविद्या का वरदान । राजा का यमदग्नि के आश्रम में प्रागमन । कामधेनु की कृपा से ऋषि द्वारा राजा की ससैन्य अभ्यागत विधि । राजा द्वारा यमदग्नि का वध करके कामधेनु का अपहरण । माता से परशुविद्या लेकर सीताराम द्वारा अनुधावन । राजा व राज पुत्र का सकुटुम्ब सपरिजन वध व दोनों का पाताल गमन । कार्तवीर्य की गर्भिणी भार्या पद्मावती का वन-गमन । शाण्डिल्य के प्राश्रम में पुत्र जन्म । सर्व गुप्त मुनि की भविष्यवाणी कि पुत्र सार्वभौम चक्रवर्ती होगा । नामकरण सुभौम । तापस द्वारा परिपालन । उधर परशुराम द्वारा इक्कीस बार क्षत्रियों को मारकर ब्राह्मणों को राज्यदान । जिसके देखने मात्र से दांत भात बन जाय उसके द्वारा परशुराम की मृत्यु की भविष्यवाणी। दानशाला की स्थापना व दांतों का पात्र दिखला कर ब्राह्मणों को भात देने की
व्यवस्था । उधर सुभौम का माता से प्रश्न । २०. माता का रोकर यथार्थ कथन । सुनकर सुभौभ का कौशलपुर गमन । उसके
देखने मात्र से दांत भात बन गये । परशुराम के भटों द्वारा आक्रमण । किन्तु - भ्रकुटि मात्र से पलायन । उसके द्वारा परशुराम का वध ।
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