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( ७७ ) १३. उस सुन्दरी के रूप का मुनि द्वारा नख-शिख संस्मरण । १४. नखशिख संस्मरण चालू ।। १५. संस्मरण से पुनः दर्शन की इच्छा । उसका मन जानकर गुरु द्वारा श्मशान में
आनयन । दुर्गन्ध से व्याकुलता । गुरु से असह्य दुर्गन्ध का निवेदन । १६. गुरु द्वारा सुन्दरी के मृत घृणित शरीर का साक्षात् दर्शन । देखकर विरक्ति व
चरित्र में दढता। गौरसंदीप नाम का अर्जन । केवल ज्ञानोत्पत्ति । मोक्ष ।
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संधि-३४ कडवक
पृष्ठ १. काम के वशीभूत होने से प्रापत्ति पर कडारपिंग की कथा । काम्पिल्य नगर ।
नरसिंह राजा, सुमति मंत्री का कडारपिंग पुत्र । राजा का प्रिय । व्यभिचारी । धनदत्त वणिक् की भार्या प्रियंगुश्री पर कुदृष्टि ।
३४२ २. पिता से निवेदन । पिता का राजा से । धनदत्त सेठ को प्रजा सुख हेतु किंजल्क पक्षी लाने सुवर्णद्वीप भेजने की योजना । राजादेश ।
३४२ ३. सेठ की भार्या से मंत्रणा। भार्या ने कारण समझ सेठ को बतलाया। सेठ का
सार्थ सहित प्रस्थान व कुछ दूर जाकर गुप्त रूप से गृहागमन । रात्रि में कडारपिंग का प्रागमन ।
३४३ ४. सेठानी द्वारा स्वागत व गृहकूप में पात । सेठ का पुनरागमन । कडारपिंग को
निकालकर चंचु, पक्ष व पूंछ लगाकर राजसभा में प्रदर्शन । स्वर से राजा द्वारा
पहिचान । सेठ द्वारा वृत्तान्त कथन । राजा द्वारा निर्वासन । मरकर नरक गमन । ३४३ ५. युवतियों के निमित्त अनेक युद्धों के लिये महाभारत पोर रामायण का उल्लेख । स्त्री के दुर्गुण ।
३४३ ६. नारी के दोष । भामा, रामा, वधू, वनिता, नारी, रमणी और प्रमदा संज्ञानों को सार्थकता।
३४४ ७. दयिता, योषा, दारा, कुमारी, अबला, वधूटी, कामिनी, विलया, भार्या, कान्ता, बाला, वल्लभा, स्त्री, प्रियाली और महेली शब्दों की दोष सूचक व्युत्पत्ति ।
३४४ ८. नारी दोष पर देवरति की कथा। विनीता देश, अयोध्यानगरी, देवरति राजा।
मित्रमती में अनुरक्त । शत्रु का माक्रमण । मंत्री के वचन की उपेक्षा । प्रजा द्वारा निस्सारण व पुत्र का राज्यारोहण । मित्रमती सहित वनगमन । जल के अभाव
में प्रिया की तृषा-शान्ति हेतु शरीर से शोणित का औषधि द्वारा जल में परिवर्तन । ३४५ ६. देवरति का श्रीपुर-गमन । लोगों द्वारा सम्मान व निवास । समीप ही वापीगृह
में किन्नररति नामक लंगड़े गायक का निवास । मित्रमती की उस पर प्रासक्ति । वर्षगांठ उत्सव के बहाने पति को बांधकर यमुनाद्रह में पात । पंगुल के साथ
निवास । १०. मछलियों द्वारा देवरति के बन्धनों का कर्तन । मंगलपुर में वृक्ष तले विश्राम ।
राजा श्रीवर्धन की मृत्यु । पुत्र के अभाव में हाथी का विसर्जन । देवरति का
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