Book Title: Jawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Author(s): Jawaharlal Maharaj
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 10
________________ भगवान् शान्तिनाथ । ----::():---- विश्व के असंख्य प्राणी निरन्तर प्रवृत्ति में रत रहते हैं। अगर सामान्य रूप से उनकी प्रवृत्तियों के मूल उद्देश्य को ग्वोजा जाय तो इसी परिणाम पर पहुँचना होगा कि सभी प्राणी शांति प्राप्त करने के एक मात्र ध्येय की पूर्ति करने के लिए उद्योग में लगे हैं। जिसके पास धन नहीं है या कम है वह धनप्राप्ति के लिए आकाश-पाताल एक करता है। जिसे मकान की आवश्यकता है वह मकान खड़ा करने के लिए नाना प्रयत्न करता है । जिसके हृदय में सत्ता की भूख जागी है वह सत्ता हथियाने की चेष्टा कर रहा है। इस प्रकार प्राणियों के उद्योग चाहे भिन्न-भिन्न हों पर उन सबका एक मात्र उद्देश्य शांति प्राप्त करना ही है। यह बात दूसरी है कि अधिकांश प्राणी वास्तविक सान न होने के कारण ऐसे प्रयत्न Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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