Book Title: Jain Vidya 24
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 10
________________ जैनविद्या 24 मार्च 2010 1 आचार्य श्री प्रभाचन्द्र का व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व - डॉ. गुलाबचन्द जैन* सामान्य परिचय आचार्य प्रभाचन्द्र न्याय और व्याकरण के क्षेत्र में बहुचर्चित विद्वान् रहे हैं। ये धारा नगरी के निवासी माने जाते हैं। इनके विषय में निम्न टिप्पणी प्रसिद्ध है शार्दूलविक्रीडित छन्द श्री धाराधिपभोजराज - मुकुट - प्रोताश्म - रश्मिच्छटाच्छाया - कुंकुम - पंकलिप्त - चरणाम्भोजात - लक्ष्मीधवः ।। न्यायब्जाकरमण्डने दिनमणिः - शब्दाब्ज - रोदोमणि - स्थेयात् पण्डित-पुण्डरीक - तरणिश्रीमत्प्रभाचन्द्रमाः ।। अनुष्टुप छन्द श्री चतुर्मुख - देवानां शिष्योऽधृष्यः प्रवादिभिः । पण्डित श्रीप्रभाचन्द्रो रुद्रवादि-गजांकुशः ।। - भावार्थ उक्त छन्द की प्रथम दो पंक्तियाँ धारा नगरी के अधिपति राजा भोज की प्रशंसा में कही गई हैं। कैसे हैं वे ? उनके मुकुट में लगे हुए रत्नों की छटा जब * यह सूचित करते हुए दुःख है कि इस लेख के लेखक अब हमारे बीच विद्यमान नहीं हैं।

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