________________
36
जैनविद्या
कर्ता स्वीकार करना है । कर्ता-कर्म सम्बन्ध एक द्रव्य का अपनी पर्यायों के साथ होता है । कुन्दकुन्द के अनुसार इस समझ का होना सम्यग्दर्शन के लिए अनिवार्य है । भेदज्ञान का अर्थ मात्र यह नहीं है कि जीव और अजीव दो भिन्न द्रव्य हैं. इसका अर्थ यह भी है कि उनके परिणाम परस्पर 'स्वतन्त्र' हैं । 'स्वतन्त्रता' से तात्पर्य यह है कि दो द्रव्यों में कर्ता-कर्म सम्बन्ध नहीं है, मात्र निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध है। इस अवधारणा को समझने के लिए इन प्रश्नों पर विचार करना आवश्यक है-(1) एक द्रव्य को दूसरे द्रव्य के परिणाम का कर्ता क्यों नहीं स्वीकार किया जा सकता, तथा (2) इस कथन का क्या अर्थ है कि एक द्रव्य का परिणाम दूसरे द्रव्य के परिणाम का निमित्त होता है ? इन प्रश्नों का उत्तर देना दो द्रव्यों के परिणामों की पृथक्ता और सम्बन्ध को समझने के लिए आवश्यक है।
एक द्रव्य को दूसरे द्रव्य का कर्ता निम्नलिखित कारणों से स्वीकार नहीं किया जा सकता
1.
प्रत्येक द्रव्य परिणामस्वभावी है अतः कोई द्रव्य दूसरे द्रव्य को परिणमित नहीं करता, अन्य के परिणाम को उत्पन्न नहीं करता। यदि पुद्गल द्रव्य स्वयं कर्मभावरूप से परिणत न हो और जीव स्वयं क्रोधादि रूप से परिणत न हो तो अपरिणामी होने से इनके द्रव्यत्व का लोप हो जायगा, या विकारी भाव और कर्मबन्ध के प्रभाव में संसार का लोप हो जायगा। यदि एक द्रव्य दूसरे द्रव्य को परिणमाता है तो अपरिणामी को परिणमाता है या परिणामी को ? जो शक्ति स्वयं में नहीं है उसे दूसरा उत्पन्न नहीं कर सकता अतः प्रथम विकल्प असंभव है, और द्वितीय विकल्प में, द्रव्य स्वयं परिणामी होने से, उसे दूसरा परिणमाता है-ऐसा कहने का कोई अर्थ ही नहीं है ।
2
जिनमें व्याप्य-व्यापक भाव होता है उनमें ही कर्ता-कर्म-भाव पाया जाता है । द्रव्य व्यापक होता है और उसका परिणाम व्याप्य है। अतः एक द्रव्य का अपने परिणाम के साथ ही कर्ता-कर्म-भाव होता है, अन्य द्रव्य के परिणाम के साथ नहीं।
यदि एक द्रव्य दूसरे द्रव्य के परिणाम को करे तो एक द्रव्य अन्य द्रव्यमय हो जाय (क्योंकि परिणाम एवं परिणामी में अनन्यता होती है), परन्तु एक द्रव्य अन्य द्रव्यमय कभी नहीं होता, अतः एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कर्ता भी नहीं होता।
4.
जो जिस द्रव्य या गुण में रहता है वह अन्य में संक्रमण को प्राप्त नहीं हो सकता और ऐसा नहीं होने से, एक वस्तु अन्य को परिणमा नहीं सकती।'
5.
यदि एक द्रव्य अन्य द्रव्य का कर्ता हो तो उसने स्व और पर इन दो परिणामों