Book Title: Jain Tattva Shodhak Granth
Author(s): Tikamdasmuni, Madansinh Kummat
Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Swadhyayi Sangh Gulabpura
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पृष्ठ सख्या पक्ति ह १६
अशुद्ध प्रवति वदंगयाएणं अछिभिज्जा शख अध्याय
१०७१ १०७
धात
११०
११०
शुद्ध प्रवृति वंदणयोगणं अहिमिज्जा शखजी पर अध्याय में घात सामायिक पुद्गल क्षयोपशम सूयगडांग नय से ज्ञ परीक्षा निरर्थक 'परमति नच्चा निन्द्ववादी शुक्ल निर्दोष स्वभाव
१११ १११ ११३ ११३
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सामयिक पद्गल क्षयोपक्षम सूत्रगडांग नय से परिज्ञा निर्थक 'पर मति बच्चा निन्हवादी शुल्क निदोष स्वाभाव
११४
११५
१२०
तिवण
तिठाण
१२० १२४ १२७ १२८ १३४ १३४
भी ठाण भवती नौ क्षयोपक्षम
तिठाण भगवती नौ में क्षयोपशम
२
ना
१३७
१३८
१३८ १३८
प्रवृतना उगाह साववे आयामणे परतु साव
रंगुण संपज्जवसिए
प्रवर्तना उग्गहा सातव आयामणे परन्तु सातवें परगुरण अपज्जवसिए
१४.
६व१२
MAR

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