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जैन पारिभाषिक शब्दकोश
२. वह मुनि, जिस पर साध्वियों की व्यवस्था करने का दायित्व होता है।
'गणधर : ' संयतीपरिवर्तकः । (बृभा ४१५० वृ) ३. वह मुनि, जो सूत्रकर्ता होता है, जैसे-- महावीर के ग्यारह शिष्य ।
गणधराः - सूत्रकर्त्तारः । (आवनि २११ हावृ पृ९० ) ४. वह मुनि, जो ज्ञान आदि की विराधना न करते हुए गण का परिवर्धन करता है ।
ज्ञानादीनामविराधनां कुर्वन् यो गच्छं परिवर्धयति स गणधरः । (व्यभा १३७५ वृ प ५)
गणधर्म
१. गण - राज्यों अथवा मल्ल आदि गणों की व्यवस्था और उसकी आचार-संहिता ।
२. मुनियों के गण की व्यवस्था और उसकी आचार-संहिता । मल्लादिगणव्यवस्था जैनानां वा कुलसमुदायो गणः - कोटिकादिस्तद्धर्मः - तत्सामाचारी ।
(स्त्र ०.१३५ वृ प ४८९)
गणनोपग
प्रतिलेखना का एक दोष । प्रस्फोटन और प्रमार्जन के निर्दिष्ट प्रमाण में शङ्का होने पर की जाने वाली गणना।
प्रमाणे – प्रस्फोटादिसंख्यालक्षणे प्रमादम् - अनवधानं यच्च शंकिते - प्रमादतः प्रमाणं प्रति शङ्कोत्पत्तौ गणनां कराड्गुलिरेखास्पर्शनादिनैकद्वित्रिसंख्यात्मिकामुपगच्छतिउपयाति गणनोपगम् ।
(उ२६.२७ शावृ प ५४२)
गणाधिपति
(बृभा २०५०)
(द्र गणी)
गणावच्छेदक
धर्मसंघ में सात पदों में से एक पद । वह मुनि, जो गच्छ के
कार्य के विषय में चिन्तन करता रहता है ।
गणावच्छेदकस्तु गच्छकार्यचिन्तकः ।
गणिनी
(द्र प्रवर्त्तिनी)
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(आवृ प २३६)
(बृभा २३३९)
गणिपिटक
द्वादशांग। वह पिटक, जो आचार्य के श्रुत का सर्वस्व होता है
गणी - आचार्यस्तस्य पिटकं - सर्वस्वं गणिपिटकम् । ( नन्दी ६८ हावृ पृ ८२)
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गणिविद्या
उत्कालिक श्रुत का एक प्रकार। इस अध्ययन में दीक्षा आदि विभिन्न अवसरों पर प्रयुक्त होने वाले मुहूर्त्त, नक्षत्र आदि का वर्णन है।
.....पव्वावणा सामाइयारोवणं एमाइया कज्जा जेसु तिहिकरण - णक्खत्त-मुहुत्त जोगेसु य जे जत्थ करणिज्जा ते जत्थऽज्झयणे वणिज्जंति तमज्झयणं गणिविज्जा । (नंदी ७७ चू पृ ५८)
गणिसम्पदा
आचार्य का बाह्य और आन्तरिक ऐश्वर्य - आचार, शरीर आदि का वैभव ।
अट्ठविहा गणिसंपदा पण्णत्ता, तं जहा – आयारसंपदा सुतसंपदा सरीरसंपदा वयणसंपदा वायणासंपदा मतिसंपदा पओगसंपदा संगहपरिण्णा णामं अट्टमा । (दशा ४.३)
गणी
गण का अधिपति आचार्य । 'गणी' गणाधिपतिराचार्यः ।
(द्र उपाध्याय)
(बृभा ४१५० वृ)
गण्डक
अनुयोग का एक विभाग ।
इक्खुमादिपर्वगंडिकावत् एक्काहिकारत्तणतो गंडियाणुओगो
(नन्दी ११९ चू पृ७७)
भणितो । गंडिका इति खंडं । (द्र कण्डिकानुयोग)
गण्य
विभागनिष्पन्न द्रव्यप्रमाण का एक प्रकार। जो गिना जाता है,
वह गण्य है।
गणिमे - जण्णं गणिज्जइ ।
( अनु ३८२)
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गति
१. पर्यायान्तरगमन (एक पर्याय से दूसरे पर्याय में जाना)
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