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जैन पारिभाषिक शब्दकोश
परिग्रह के द्वारा कर्म को आकर्षित करने वाली आत्मा की अवस्था।
(स्था ५.१२८)
पराजय वाद में अपने पक्ष को सिद्ध न कर सकने पर होने वाला पराभव। वादिनः प्रतिवादिनोवा या स्वपक्षस्य असिद्धिः सा पराजयः।
(प्रमी २.१.३२ व)
परार्थानुमान परोपदेश से होने वाला साध्य का विज्ञान. जिसमें पक्ष और हेतु का कथन किया जाता है। 'परार्थम्' अनुमानं परोपदेशापेक्षं साध्यविज्ञानमित्यर्थः ।
(प्रमी २.१.१ वृ) पक्षहेतुवचनात्मकं परार्थमनुमानमुपचारात्।
(प्रनत ३.२३)
परिग्रह पाप पापकर्म का पांचवां प्रकार । मूर्छात्मक संग्रह की प्रवृत्ति से होने वाला अशुभ कर्म का बंध। (आवृ प ७२) परिग्रह पापस्थान वह कर्म, जिसके उदय से जीव परिग्रह में प्रवृत्त होता है। जिण कर्म नै उदय करी जी, परिग्रह सेवै अयाण। तिण कर्म नै कहियै सही जी, परिग्रह पंचम पापठाण॥
(झीच २२.११) परिग्रहविरमण पांचवां महाव्रत । परिग्रह के परित्याग से होने वाली विरति।
(स्था ५.१) (द्र सर्वपरिग्रहविरमण)
परिग्रहसंज्ञा लोभवेदनीय कर्म के उदय से होने वाला संग्रहात्मक संवेदन। लोभोदयात् प्रधानसंसारकारणाभिष्वङ्गपूर्विका सचित्तेतरद्रव्योपादानक्रिया परिग्रहसञ्ज्ञा। (प्रज्ञा ८.१ ७ प २२२)
परावर्त्तमान वह कर्म-प्रकृति, जो किसी दूसरी प्रकृति के बंध अथवा उदय को रोककर बंध अथवा उदय को प्राप्त होती है, जैसेस्त्रीवेद, पुरुषवेद आदि। याः प्रकृतयः प्रकृत्यन्तरस्य बन्धमुदयं वा विनिवार्य बन्धमुदयं वाऽऽगच्छन्ति ताः परावर्त्तमानाः। (कप्र पृ ३४) परिकर्म दृष्टिवाद का एक प्रकार, जिसके पढ़ने से सूत्र आदि को समझने की योग्यता आ जाती है। सूत्रादिग्रहणयोग्यतासम्पादनसमर्थं परिकर्म।
(स्था ४.१३१ वृ प १८८) (द्र दृष्टिवाद) परिकुञ्चना प्रायश्चित्त मायापूर्वक अपराध को छिपाने का प्रायश्चित्त। परिकुञ्चनम्-अपराधस्य द्रव्यक्षेत्रकालभावानां गोपायनमन्यथा सतामन्यथा भणनं परिकुञ्चना परिवञ्चना वा" तस्याः प्रायश्चित्तं परिकुञ्चनाप्रायश्चित्तं।
(स्था ४.१३३ वृप १८९) परिगृहीता देवी पत्नी के रूप में स्वीकृत देवी। (प्रज्ञा २.१९)
परिचारणा कामवासना की प्रवृत्ति। परिचारणा-यथायोगं शब्दादिविषयोपभोगः ।
(प्रज्ञा ३४.१७ वृ प ५४४)
परिचित पाठ कण्ठस्थ करने की पद्धति का एक अङ्ग। परावर्तन करते समय उल्टे-सीधे क्रम से पूरे ग्रंथ को दोहराना अथवा पूछे जाने पर क्रम या व्युत्क्रम से तत्काल बता देना। जं कमेण उक्कमेण उ अणेगधा आगच्छंति तं परिजियं।
(अनु १३ चू पृ७)
परिज्ञा १. विवेक। साधना की सिद्धि के लिए उपधि, कषाय आदि का परित्याग करना। परिज्ञा-विवेकः
(आभा १.९) पंचविहा परिणा पण्णत्ता, तं जहा-उवहिपरिण्णा,
परिग्रह आस्त्रव
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