Book Title: Jain Itihas ki Prasiddh Kathaye
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 13
________________ जैन इतिहास की प्रसिद्ध कथाएं आना-जाना बन्द हो गया। राजा श्रेणिक ने अनेक योद्धाओं को भेजा, पर अर्जुन माली की यक्ष शक्ति के सामने कोई नहीं टिक सका। जो भी उसके निकट आया, वह टुकड़े-टुकड़े हो गया। नगर में भय की भावना छा गई। सम्राट श्रेणिक के आदेश से सब-के-सब नगर-द्वार बंद कर दिये गए। जनता का नगर से बाहर आवागमन निषिद्ध हो गया। नगर के वनउपवन सब वोरान जंगल हो गये। वहाँ अब साक्षात् मौत जो घूम रही थी। ___ भगवान् महावीर राजगृह के बाहर गुणशोल उद्यान में पधारे। लोगों ने सुना, दर्शन करने की भावना उमड़ पड़ी। पर, बीच का यह भयानक मृत्यु -मार्ग कोन पार कर सकता था? उस पार अवश्य ही अमर देवत्व के दशन हो सकते थे। पर, बीच में मृत्यु का राक्षस भी तो बैठा था । उससे कोन दो-दो हाथ करे ? सब ने घर बैठे ही भगवान की भक्ति भाव से वन्दना कर ली। परन्तु, एक युवक श्रावक भगवान महावीर के दर्शन करने के लिए उसी दिशा में चल पड़ा। माता - पिता ने उसे बहत समझाया, मित्र- परिजनों ने उसका मार्ग रोका । पर, उसका एक ही उत्तर था-"अभय को भय नहीं खा सकता। मैं अमृत के दर्शन करने जा रहा हूँ, मुझे मृत्यु के विष का कोई भय नहीं है।" सब उसके साहस, निष्ठा और विश्वास पर दंग थे । वह रुका नहीं, अकेला ही पैदल बढ़ता गया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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