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[१३२] ( अकाल मृत्यु तो तब शायद पास भी न फटकेगी ! ), पुत्रप्राप्ति की इच्छा हो तो पाँच जनेऊ डाल लेने चाहियें-पुत्र की प्राप्ति हो जायगी
और धर्म लाभ की इच्छा हो तोभी पाँच ही जनेऊ कण्ठ में धारण करने चाहिये, तभी धर्म का लाभ हो सकेगा अथवा उसका होना अनिवार्य होगा। एक जनेऊ पहन कर यदि कोई धर्म कार्य-जप, तप, होम, दान, पूजा, स्वाध्याय, स्तुति पाठादिक-किया जायगा तो वह सब निष्फल होगा, एक जनेऊ में किसी भी धर्म कार्य की सिद्धि नहीं हो सकती।' यथाः
प्रायुःकामः सदा कुर्यात् द्वित्रियज्ञोपवीतकम् । पंचभिः पुत्रकामः स्याद् धर्मकामस्तथैव च ॥ ५७ ॥ यज्ञोपवीतेनैकेन जपहोमादिकं कृतम् । तत्सर्व विलयं याति धर्मकार्य न सिद्धयति ।। ५८ ॥
पाठकजन ! देखा, जनेऊ की कैसी अजीब करामात का उल्लेख किया गया है और उसकी संख्यावृद्धि के द्वारा आयु की वृद्धि आदि का कैसा सुगम तथा सस्ता उपाय बतलाया गया है !! * मुझे इस
* और भी कुछ स्थानों पर ऐसे ही विलक्षण उपायों का-करा. माती नुसनों का-विधान किया गया है; जैसे (१) पूर्व की ओर मुँह करके भोजन करने से श्रायु के बढ़ने का, पश्चिम की तरफ़ मुँह करके खाने से धन की प्राप्ति होने का और (२) काँसी के बरतन में भोजन करने से आयुर्बलादिक की वृद्धि का विधान ! इसी तरह (३) दीपक का मुख पूर्व की ओर कर देने से आयु के बढ़ने का, उत्तर की ओर कर देने से धन की बढवारी का, पश्चिम की ओर कर देने से दुःखों की उत्पत्ति का तथा दक्षिण की ओर कर देने से हानि के पहुँ।
चने का और सूर्यास्त से सूर्योदय पर्यन्त घर में दीपक के अलते रहने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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