Book Title: Dravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 02
Author(s): Yashovijay
Publisher: Shreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh

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Page 20
________________ 16 •विषयमाहा. વિષય પૃષ્ઠ વિષય m m m m m M m " m m m ل ل ل ل ل ل ل ل नष्टघटः मृत्तिकारूपेण अस्ति ........... ..............३२१ पाय पहार्थने सापेक्ष शानविशेषता............... बाय ५४ाथन साप शानापर रूपान्तरेण सत्त्वसिद्धिः ................ ............... ३२२ मेथी प्रारितामेह......... ........... स्वतंत्र साधन भने प्रसंगमापान विशे सम४९ .... ३२२ | मिथ्यावासनावशादसद्भानापादनम् .................... ३३७ मेऽ३५ वस्तु मसत्, अन्य३५ सत् : हैन .......... ३२२ | | नैयायिनो सत्यतिथी सामे ५२॥४य ........ ३३७ असत्कार्यवादैकान्तनिराकरणम् ......... ................. असत्यालिवाहनी स्पष्टता ........ ............ सर्वथा असलार्यवाह नैयायिभते. असंगत .........३२३ असदभानन्यायेन निन्दकक्षमायाचना .................. ३३८ थित व्यवहार अने हुमावत्या : नययप्रयोजन ..३२३ मतीत विषय थित सत : हैन ................. ३३८ द्रव्यार्थिकनयानुसरणेन द्वषत्यागः ........ ३२४ | भूख स्वी10 अथवा नि प्रत्ये मध्यस्थ बनो ..... ३३८ असत्प्रतिभासपरामर्शः ............. ३२५ कार्य-कारणयोः तादात्म्यम् .............................. ३३९ नैयायि द्वा२॥ यो यार म४य : हैन ............. ३२५ असत्नी शHि-उत्पत्तिनो मम ................ ३३९ योगाचारमतप्रतिक्षेपाऽसम्भवः .......................... ३२६ | 'आदावन्तेऽसद् मध्येऽप्यसद्' इति न्यायद्योतनम् ... ३४० बौद्धना यार संग्रहायनी सम४९ ................ २६ | सहव्यवहार सत्य वाहनो सा4 ................. ३४० असतो ज्ञप्तिरपि न, कुत उत्पत्तिः ? .............. द्रव्यकर्मादिनिमित्तकसङ्क्लेशो न कार्यः .............. ३४१ સર્વથા અસનું ભાન અશક્ય ३२७ त्रि ध्रुव मात्मतत्वमा स्थिर थमे ............. ३४१ स्तम्भादिकं न ज्ञानाकारमात्रात्मकम् .................. ३२८ | कार्य-कारणयोः भेदाभेदपक्षस्थापनम् ................ ३४२ योगायारभतनिरास .......... ... ३२८ | मेवाही नैयायि: - अमेवाही साध्य ............ ३४२ दृष्टसामयी ४न्य शान मिथ्या : शाबरभाष्य......... एकान्तपक्षदोषोपदर्शने सम्मतितर्कसंवादः ............. ३४३ परिपक्व-प्रबल-परिशुद्धज्ञानमाहात्म्येन Asiduawi २३८॥ दूषो वास्तवि छ............ ३४३ ___ आत्मा भावनीयः .......................... ३२९ कार्योत्पत्तिचातुर्विध्यम् ... ...........३४४ योगायार भतर्नु माध्यामि भूल्याइन ............. आर्योत्पत्ति अंगेन या२ मतो ................... अतीतप्रतीतिप्रतिपादनम् .......... .............. जैनप्रवचनम् अपक्षपाति ............. सतात पहा! ५ वर्तमान पर्यायथी सत् .......... ३३० द्रव्य-शुहिनो मेहामेह : हैन ....... अतीतज्ञेयाकारसत्त्वविचारः ..............................३३१ एकान्तवादिनो मिथो हताः............ ................ ३४६ सतात. शेयार द्रव्यार्थथी सत् ........ ५२४शनाको प्रत्ये श्री उभद्रायाय- मंतव्य ....... ३४६ ज्ञानविषयता विषयस्वरूपा | ५२प्रवाहीमानो ५२२५२ मत्स२(मा............... ३४६ विषयता विषयस्१३५ छ ........................ | स्याद्वादसिद्धान्तः मात्सर्यशून्यः ................... ३४७ अतीते वर्तमानत्वारोपकरणम् ३३३ | भगवत्समयः सर्वदर्शनमयः ............. ३४८ अतीतमा वर्तमानतानो 6५यार : नैगमनय ........ | स्याता द्वारा सर्व नयोनी मैत्री .. ............ ઉપચારનિમિત્ત વિચાર, | मत्सरः पराजयहेतुः . ................. ५२निं: - स्वप्रशंसा जीमे : नैगमनय........... જૈનદર્શનમાં સર્વ દર્શનનો સમાવેશ नमा स शनना सभावश .............. अतीतसत्त्वाभ्युपगमेन द्वेषादित्यागः .................... | मे वाही ५२२५२ ५२।®त ..................... ३४९ शशशृङ्गभानापादनम् . ............... ३३५ | जैनं जयति शासनम् ............. ............. ३५० असतनमान मानवामा मापत्ति ..... ..........३३५ | नित्यवाहीनी स्थापना ....... .........३५० अर्थेनैव धियां विशेषः ...... .......... ३३६ | सत्त्वम् अर्थक्रियाव्याप्यम् .......... ३५१ لا لا الله س ३४४ ل لا ३४५ لله لا س ل पिपपत्वरूपा........... mr mr .......... mr m mr ३४८ m ...... ३४९ m m mm mr ३३४ mr m .........

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