Book Title: Dipmala Aur Bhagwan Mahavir
Author(s): Gyanmuni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 9
________________ लोगों की जो मान्यता है, उस पर आलोचनात्मक ऊहापोह है। अन्तिम शताब्दियों में हुए भारत के कुछ ऐतिहासिक तथा धार्मिक व्यक्तियों का दीपमाला के साथ जो सम्बन्ध जुड़ गया है, संक्षेप में उस का परिचय है । दीपमाला के दिनों जो जूश्रा खेला जाता है, और आतिशवाजी जलाई जाती है, उसके दुष्परिणामों का विवेचन किया गया है । आज की दीपमाला और दीपमाला की वास्तविकता बता कर अन्त में दीपमाला की राष्ट्रियता पर भी कुछ विचार प्रस्तुत किए हैं। "वीर-निर्वाण महापर्व (दीपमाला)" यह दूसरा निबन्ध है प्रस्तुत पुस्तिका का । मैं दीपमाला को वीर-निर्वाण महापर्व के नाम से व्यवहृत करता हूँ। मेरी दृष्टि में दीपमाला का मूल नाम “वीर निर्वाण महापर्व" है। काल की अनेकानेक घाटियां पार करता हुआ यह नाम अपना मूल रूप खो बैठा है और दीपमाला के रूप में हमारे सामने आगया है। संभव है, समय का चक्र फिर बदल जाए और पर्व अपने मूल स्वरूप को पुनः प्राप्त कर ले। इस दूसरे निबन्ध में मुख्यतया भगवान महावीर के जीवन का संक्षेप में परिचय कराने के साथ-साथ उनके उपदेशामृत के कण एकत्रित करने का यत्न हुआ है । भगवान महावीर के प्रवचन-सागर में से कुछ अमृत कण चुन कर पाठकों की सेवा में अर्पित किये गए हैं । अन्त में भगवान महावीर के सिद्धान्तों का संक्षेप में दिग्दर्शन कराया गया है । यही इस पुस्तिका का सामान्य सा परिचय है। . मैं कोई लेखक नहीं हूं। लेखक का स्थान बहुत ऊंचा है। मैं अभी उस से कोसों दूर हूँ और भारतीय दर्शन के महासागर

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