Book Title: Dipmala Aur Bhagwan Mahavir Author(s): Gyanmuni Publisher: Jain Shastramala Karyalay View full book textPage 7
________________ अपनी बात कार्तिक अमावस्या की रात्रि भगवान् महावीर के निर्वाण की रात्रि है, इस रात्रि को सत्य अहिंसा के अमर दूत भगवान् महावीर ने जन्म-मरण की परम्परा का आत्यन्तिक क्षय करके मोक्ष प्राप्त किया था। इस के अतिरिक्त इसी रात्रि को भगवान् महावीर के प्रधान शिष्य श्री गौतम स्वामी ने केवल-ज्ञान की महाज्योति को उपलब्ध किया था। इस तरह इस रात्रि को दो महान् मांगलिक कार्य सम्पन्न हुए थे। इन्हीं दोनों ऐतिहासिक तथ्यों का प्रतीक तथा परिचायक दीपमाला पर्व है। दीपमाला पर्व के द्वारा भगवान महावीर तथा भगवान् गौतम इन दोनों महापुरुषों की पुण्य स्मृति को दोहराया जाता है। दीपमाला के मूलभूत इन तथ्यों को बहुत कम लोग जानते हैं । जैनेतर लोगों की तो बात ही दूसरी है, जैन लोग भी इस जानकारी से प्रायः वञ्चित ही देखे जाते हैं। यही कारण है कि जब दीपमाला पर्व आता है तो प्रायः लोग पूछते हैं और जिज्ञासाबुद्धि से वे यह पृच्छा किया करते हैं कि जैन दृष्टि से दीपमाला पर्व क्यों मनाया जाता है ? इस पर्व के पीछे कौनसी भावना काम कर रही है ? इस का ऐतिहासिक तथा प्राध्यास्मिक क्या महत्त्व है ? इसके अतिरिक्त यह भी पूछा जाता है कि इस पर्व को मनाने का वास्तविक ढंग क्या है ? वैयक्तिक, पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रिय जीवन से इस पर्व का क्या सम्बन्ध है ? मानव-जगत की सुखशान्ति के लिए यह पर्व क्याPage Navigation
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