Book Title: Dipmala Aur Bhagwan Mahavir
Author(s): Gyanmuni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 8
________________ (ख) साधन-सामग्री प्रस्तुत करता है ? इस तरह के अन्य भी अनेकों प्रश्न प्रायः प्रति वर्ष लोगों द्वारा किए जाते हैं 1 दीपमाला के सम्बन्ध में उपरोक्त प्रश्न सुनकर मेरे मानस में कई बार यह विचार उत्पन्न हुआ था कि एक ऐसी छोटी सी पुस्तक लिखी जाए, जिस में इन सभी प्रश्नों का समाधान हो और जिस में दीपमाला महापर्व के सम्बन्ध में सामाजिक, राष्ट्रिय तथा आध्यात्मिक सभी दृष्टियों को लेकर गम्भीर ऊहापोह किया गया हो । हर्ष की बात है कि मेरी यह चिरन्तन कामना जैनधर्मदिवाकर, साहित्यरत्न, जैनागमरत्नाकर, आचार्य सम्राट परम श्रद्धेय गुरुदेव पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज के पावन अनुमह से आज परिपूर्ण हो रही है । "दीपमाला और भगवान महावीर” नाम की प्रस्तुत पुस्तिका मेरे उसी चिन्तन का एक साधारण सा मूर्तरूप है । इस पुस्तिका द्वारा मैं अपने उद्द ेश्य को पूर्ण करने में कहां तक सफल हो पाया हूं ? इस का उत्तर हमारे सहृदय पाठक देंगे। मैं तो इतना ही निवेदन किए देता हूँ कि दीपमाला को लेकर जो अनेकविध प्रश्न किए जाते हैं, प्रायः उन सब को इसमें समाहित करने का भरसक यत्न किया गया है । तथापि इसमें यदि कोई न्यूनता रह गई हो तो सूचना मिलने पर पुस्तिका के दूसरे संस्करण में उसे दूर करने का यत्न किया जायगा । - इस पुस्तिका में दो निबन्धों का संग्रह है । दोनों में विभिन्न दृष्टियों से दीपमाला पर्व की महत्ता एवं उपादेयता पर प्रकाश डालने का यत्न किया गया है । "दीपमाला और जैन धर्म" यह पहला निबन्ध है । सर्वप्रथम इस में जैन दृष्टिकोण से दीपमाला के सम्बन्ध में विचार किया गया है। इसके अनन्तर --- दीपमाला के सम्बन्ध में जैनेतर

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