Book Title: Dipmala Aur Bhagwan Mahavir
Author(s): Gyanmuni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 51
________________ ३४ भविष्य को उज्ज्वल और समुज्ज्वल बनाने में सफल हो सकेगा। दीपमाला मानव को सच्चा मानव बनाने आती है, पाशविक वृत्तियों को मिटाकर मानवता का मंगलमय महापाठ पढ़ाती है । स्वार्थपरायणता की आग पर परमार्थ का जल डालने आती है, अपने निर्धन और असहाय पड़ोसियों को तथा निराश एवं हतोत्साह मानव जीवन को गले लगाने का प्रेमभरा सन्देश सुनाने आती है ।। दीपमाला महापर्व की महिमा कहां तक कहता चला जाऊँ ? यह तो महान पर्व है । उसके अमर सन्देशों की महिमा का पार नहीं पाया जा सकता। उसकी विराट महत्ता को शब्दों की सीमित रेखाओं में सीमित नहीं किया जा सकता। दीपमाला और राष्ट्रियता दीपमाला पर्व की पुण्य रात्रि मंगल--मूर्ति भगवान महावीर के निर्वाण और उनके प्रधान अन्तेवासी श्री इन्द्रभूति गौतम स्वामी के केवल-ज्ञान के दिव्य आलोक की परिचायिका अथच संसूचिका रात्रि है । इस रात्रि में भगवान महावीर ने निर्वाणलाभ किया और श्री गौतम स्वामी ने केवल-ज्ञान की लोकोत्तर ज्योति प्राप्त कर अरिहन्त पद उपलब्ध किया। यह तथ्य प्रस्तुत निबन्ध में निवेदन किया जा चुका है। अब दीपमाला की राष्ट्रिय, सामाजिक तथा पारिवारिक उपादेयता एवं उपयोगिता के सम्बन्ध में कुछ विचार प्रस्तुत किये जाएंगे। लोग पूछते हैं-दीपमाला पर्व व्यष्टि और समष्टि के उत्थान में क्या सहयोग प्रदान करता है ? व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र के जीवन-निर्वाण में इस पर्व की क्या उप

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