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दीपमाला पर्व ग्राम्य, नागरिक और प्रान्तीय जीवन को सात्त्विक और प्रामाणिक बनाने की प्रेरणा किस प्रकार प्रदान करता है ?और किस प्रकार जीवन में राष्ट्रियता का संचार । करता है । ? इसका उत्तर नीचे की पंक्तियों में पढ़िए।
भाव-प्रकाश का प्रतीक दीपमाला
दीपमाला पर्व के उपलक्ष्य में किया गया दीपकों का प्रकाश भगवान महावीर के भा-मण्डल का पुण्य प्रतीक है । भा-मण्डल एक प्रकार का गोलाकर प्रकाशपुज होता है, जो महान् अध्यात्मनिष्ठ लोकोत्तर तेजस्वी महापुरुष के मस्तक के पीछे अवस्थित रहता है । भा-मण्डल का उद्भव प्रात्मसाधना के द्वारा होता है । अहिंसा, सत्य, जप, तप, बाग, वैराग्य श्रादि पवित्र अनुष्ठानों की दृढ़ता-पूर्वक परिपाल T करने से भामण्डल का आविर्भाव होता है । भामण्डल जीवन की : आध्यात्मिक तेजस्विता का संसूचक है । जिसके पीले भामण्डल है, समझना चाहिये कि वहां अहिंसा भगवती विधमान है और सत्य भगवान सानन्द विहार कर रहे हैं। वहां इशन का प्रखर
आलोक सदा जगमगाता रहता है और द्रव्य एवं साव अन्धकार · का चिहन भी नहीं है । ब्रह्मज्ञान की उस महाज्योति में अखिल · विश्व हस्तामलक की भाँति उद्भासित हो रहा है । वहाँ जीवन
गत समस्त विकार नष्ट हो चुके हैं और जीवन शंख की तरह निर्मल और कमल की भाँति निर्लेप बन गया है ।
भामण्डल
दीपकों का प्रकाश भामण्डल का अनुकरण , नकल है। सच्चा भामण्डल तो अहिंसा और सत्य की विराट साधना की