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करण भी प्राप्त नहीं हो सकता ।
जारी और गधा -
हमने देखा है कि जूमारी की दशा गधे से भी अधिक बुरी होती है । जूचारी जहाँ कहीं भी जाता है वहीं पर वह गधे की तरह डण्डे खाता है, उसे सर्वत्र अपमान और तिरस्कार का विष पीना पड़ता है। जुआरी की सर्वदा सर्वत्र उपेक्षा होती है, उसका कोई मान नहीं करता, सभी उससे घृणा करते हैं । घर जाता है तो घर वाले उसकी दुर्दशा करते हैं। मां गालियां देती है, नारी कोसती है, भाई मार-पीट करते हैं, इस तरह माता-पिता, स्त्रीपुत्र, भाई-बहिन घर का कोई भी व्यक्ति चारी का आदर नहीं करता, न उसे कोई पूछता है । सर्वत्र उसे अपमानित एवं तिरस्कृत होना पड़ता है। घर से बाहिर निकलता है तो लोग उसे बुराभला कहते हैं, उसकी ओर अंगुलियां करते हैं, इस तरह उसे कहीं भी सम्मान से चलना, बैठना, उठना, सोना, जागना, बोलना, खाना और पीना नसीब नहीं होता । सर्वत्र उस पर तिरस्कार तथा दुतकार की वर्षा होती है ।
जुआरी पूर्णतया अविश्वास का पात्र बन जाता है, कोई उस पर विश्वास नहीं करता है । वह कितनी भी बातें बनाता चला जाए, कितनी भी सफाइयां पेश करने लगे, कोई उसे सत्यवादी मानने को तैयार नहीं होता। चाहे वह लाख बार राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, गुरु नानक या अन्य अपने इष्ट देव की सौगन्धं खाता चला जाए तथापि उसकी वाणी को कोई सत्य नहीं मानता। जूआरी को सर्वथा और सर्वदा झूठा और विश्वासघाती समझा जाता है । दूसरे लोगों की तो बात दूर रही, समझदार घर की नारी भी अपने जूमारी पति पर विश्वास