Book Title: Dipmala Aur Bhagwan Mahavir
Author(s): Gyanmuni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 35
________________ नहीं करती । वह भी उससे सदा सावधान और सतर्क रहती है, और कभी-भी उसकी बातों में आने का यत्न नहीं करती। संसार का ऐसा कौन सा नीच कर्म है जो जूआरी के हाथों से नहीं होता ? जूआरी के जीवन में सभी दुष्कर्म खेलने लग जाते हैं। जूआरी झूठ बोलता है, लोगों को धोका देता है, उनके साथ विश्वासघात करता है । लोगों की आंखों में धूल झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ता है । चोरी करता है, लोगों की जेबें कतरता है, घर के बरतन, वस्त्र आदि चुरा कर बाजार में बेच देता है, नारी के आभूषणों पर हाथ साफ कर देता है तथा घर आदि स्थावर सम्पत्ति को भी गिरवी रख देता है । अधिक क्या कहें, जीवन की प्रत्येक बुराई जूआरी के जीवन का साथी बन जाती है । प्रतिपल और प्रतिक्षण वह लोगों का अनिष्ट करने का अक्सर देखता रहता है । अन्त में जब किसी भी तरह उसका वश नहीं चलता तो अपने को समाप्त करने की कोशिश करता है, बुरी तरह मरने की ठान लेता है । कोई विष खाता है, कोई अपने वस्त्रों पर पैट्रोल या मिट्टी का तेल डालकर अपने को आग लगा लेता है, कोई गाड़ी के नीचे सिर रख कर जीवनान्त करने का यत्न करता है । इस तरह जूआरी मृत्यु के लिये अनेकानेक प्रयत्न करता है । जूआरी के जीवन के अन्तिम दो ही साथी हुआ करते हैं । एक मृत्यु, दूसरा जेलखाना । यदि जूआरी लोगों को ठगने में प्रयुक्त किए अपने हथकण्डों से निराश हो जाता है तो वह मरने की सोच लेता है और यदि वह मृत्यु के पंजे से किसी तरह बच जाए, या श्रात्महत्या करता हुआ पकड़ लिया जाए तो लोग उसे जेलखाने में पहुँचा देते हैं । जेलखाने में जाकर फिर जूआरी को अनेकविध

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