________________
चला जाता है । सिद्धान्त है कि जो व्यक्ति बुराई को बुराई के स्वरूप में देखता है उसका उस बुराई से पृथक् होना संभव है, किन्तु जो बुराई को भी अच्छाई के रूप में देखने लग जाए, और उसे अपने मनोविनोद का एक साधन समझ ले. वह उस बुराई से बच सकेगा, ऐसी आशा कभी नहीं की जा सकती। आज के मनचले मनुष्य की ऐसी. ही दशा हो रही है। यह आतिशवाजी जैसी बुराई को भी अच्छाई के रूप में देखने लग गया है, उसने इसे अपने मनोविनोद का एक अंग बनालिया है । ऐसी दशा में इसका सुधार हो तो कैसे हो ?
दीपमाला के दिनों आतिशवाजी का बड़ा जोर होता है । जहाज चलाये जाते हैं, सिंगाड़ा, जलेबी, चिड़चिड़, अनार, सांप, पटाखें, बम और भी न जाने कितनी सामग्री जुटाई जाती है । जब बम चलाये जाते हैं तो इतने जोर के भयंकर शब्द होते हैं कि कानों के परदे फटने को हो जाते हैं, शान्त और स्वस्थ व्यक्ति का कलेजा भी कम्पायमान हो उठता है । समझ में नही आता कि आज के मनचले युवक को क्या हो गया है ? वह क्यों इस तरह की अनर्थकारी प्रवृत्तियों में इतना रस लेने लग गया है ? भूखे और दीन-हीन देश का निवासी होकर भी वह क्यों इस तरह व्यर्थ में धन राशि का स्वाहा कर देता है ? सुना जाता है कि दीपमाला के दिनों करोड़ों रुपयों की आतिशवाजी जल जाती है । या यूं कहें-इन दिनों देश की करोड़ों की सम्पत्ति को
आग लगा दी जाती है। जो देश रोटी के लिये तरसता हो, जिसके बच्चे दूध के बिना विलखते हों, जिसके युवक चिन्ताओं के मारे जवानी में बूढ़े हो रहे हों, जिस देश के विद्यार्थी धनाभाव के कारण विद्या--ग्रहण करने में भी कठिनाई अनुभव