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श्री वीर नि० २४५२ । श्री श्रेषभ निर्वाण संवत् पर शंकाएं और
उनका उत्तर । ..... लि श्रीमान पं० विहारीलाल जैन, सी०टी) ..
.बुलन्दनहरी अमरोहा) .. (दि जैन श्रङ्क वर्ष २० वा ज्येष्ठ बीर २४४३ पत्र १८): ... विदित हो कि यह लेख गत मासं जनवरी के "जैन प्रचारक", : में. तथा गत १० जनवरी के जैन प्रदीप में और गत माघ मास: के दिगार जैन में प्रकाशित हुआ था जिम पढ़कर .बहुत से इतिहास प्रेमी हमारे भाइयों ने अपना हार्दिक हर्ष प्रकट किया. और तीन चार महाशयों ने इस सन्वत के विषय में कुछ शंकायें भी: की है जिस से ज्ञात होता है कि इस लेख को बहुत से : भाइयोंने ध्यान पूर्वक बड़ी रुचि से पढ़ा है और अपनी अपनी योग्य सम्मति. देने का कष्ट उठाकर मेरे उत्साह को बढ़ाया है और मुझे आभारी:: बनाया है, जिसका धन्यवाद देने के लिए मेरे पास ययोचित शव नहीं हैं। ... ...... .... .. कई भाइयोन जो कुछ शंकाएं प्रकट की हैं उनका सारांश निम्न लिखित दो भागों में विभक्त हो सकता है:-.......
२) इतने बड़े ७६ अङ्क के महान सम्वत् को किस प्रकार पढ़ा जावे जव कि इकाई दहाई आदि दश शङ्ख तक कुल १९ ही... अङ्क प्रमाण नियत हैं..... .....
....... : .::, ......(२) किस जैन पंथ के अाधारपर और किस प्रकार यह
उपरोक्त शकाओं में से पहली शंका प्रकट करते हुए
नम्न
-ए
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भार किस प्रकार यह .
सम्बत, निकाला गया है .......