________________
(१२ ) .. चाहिएं। बाहार शुद्धि का ज्ञान स्त्रियों को अवश्य चाहिए, सीने पिरोतका ज्ञान, गृहं व्यवस्थाका ज्ञान, यह अवश्य चाहिए। कई विदाः नाका मंत ऐसा है कि पुरुष और स्त्रीको शिक्षा एकसो होनी चाहिए। स्त्री पुरुष के हक्क समान हैं यह बात धर्म से विरुद्र जाती है। देखो श्री आदिनाथ भगवान ने अपनी पुत्री ब्रह्मी और सुंदरी को जब पढ़ाने का प्रारम्भ कर दिया उस वक्त उन्होंने जो उपदेश दिया उसका महत्व ९डा है। ...
इदं वपुर्वयश्चेद . मिदं शीलमनोदशम : ... विजया चेद विभूप्येत सफल जन्मवामिदम ॥
. विधायान परपो लोके सम्मति याति कोविदः। : : . नारी, च तद्वती धरो स्त्रों सृष्टमित पदम् ॥ . . .:: ... अर्य-यह प्रापका शरीर चय और शील यदि शिक्षासे भूषि . वहोजायगा तो आपका जन्म सफल होगा जैसाकि विधामपुरुष लोगों में विद्वानों से श्रेष्ठताको प्राप्त कर लेता है, उसी मुजय विदुषी. ली ऋष्टि में श्रेष्ठ पदवो धारण करती हैं। प्यारे भाइयो! श्रीआदि नाथ भगवान के उपदेश को अच्छी तरह दखा, और उसो श्रादेश: माफिक अपनी पुत्रियों को विद्या पढाना चाहिए, पुरुष सृष्टि और स्त्री सृष्टि जुदो मानी गई है, दोनों को पढाई का मन्तव्य भी जुदार. चाहिए अपने को स्त्रियों के लायक पाठ्य पुस्तके भी.
अच्छी वनबानी चाहिये जिसमें स्त्रियों का धर्म : अच्छी तरह बताया हो । . ': ५-हे वहिनो ! जो कुछ मुझ से मशुदि या अनुचित कहा .गाया हो उसे आपः परिंडता क्षमा करें। .. . ::
....... जिन सेविका-. .. ... ... अनारदेवी, धर्मपत्नी श्रीमान लाला द्वारकामसाद जैन, C. K
हाथरस निवासी व. इस पुस्तक के प्रकाशका