Book Title: Dharm Jain Updesh
Author(s): Dwarkaprasad Jain
Publisher: Mahavir Digambar Jain Mandir Aligarh

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Page 137
________________ १७-सूतक प्रमाण विचार । पोढ़ी दिन एक साल के बालक का तीन दिन । ............ साधु का सूतक महीं लगता। पीढ़ी ३ तक .. १२ । अंपघातसें मरे उसके घर ६ महिना चीयो .. पीढ़ी, १० : गाय घोड़ा आदि घरमें जन्मे, मरे' पांचवीं .. . . छटवी :::: :::! तो स्तफ १ दिन। .. .. .. . सातवी , ३ थालक जन्मे उसके गृह १० दिन, आठवीं,. ..... नवमी, ४ पहर: प्रसूति स्थान को १ माह और दशवों: ;, नान मात्र. :: ... ": :: : :: .. .. गोत्रके मनुयो को ५ दिनकां। - १८-र से बैर को शांति नहीं। खम्मामि सब जीवाणे सब्वे जीवा खमंतु म। .. . मित्ती में सव्वभूदेसु वैरं मझ ण केण वि.॥ . प्रत्येक जीव व मनुष्यको किसी दूसरे से वैर भाव नहीं । करना चाहिए इस से संसार दीर्घ होता है और यह पैर परस्पर चढ़ता जाता है यहां तक कि अनंत भवा. में नहीं छूटता, पस ऐसा करने से मोक्ष मार्ग पर जीव नहीं लगता इस लिए धुद्धिमान चतुर मनुष्य व स्त्रीयां किसी से घर नहीं करते तथा वर का निमित्त प्राजाने पर,सौ सूरत से उसको टाल देते हैं। इस शरीर में ५६८९९५८४ रोग भरे है जिस में नेत्र रोग सिफ ९६ हैं। इसलिए शक्ति प्रमाण . हमेशा धर्म साधन करते रहो। तीर्थ यात्रादि धर्म संय तरुण अवस्था में अच्छे साधन होते हैं। न मालुम यह शरीर, हम से कब टूर जावे श्राज

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