Book Title: Dharm Jain Updesh
Author(s): Dwarkaprasad Jain
Publisher: Mahavir Digambar Jain Mandir Aligarh

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Page 134
________________ आदिनाथ, अजितनाथ, संभवनाथ, अभिनंदनाय, सुमितमाथ ): . शीतलनाथ अयांसनाय विमलनाथ अनतमाय धर्मनाथ । शांतनाथ. कुपथनाथ , अरहनाथ, मखनाथ · नामिनाथ - - "महावीर . पद्मप्रभू वासपज्य , सुपाश्र्वनाथ पानाथ . ७ : २२ . . 'चन्द्रप्रभू पुष्पदन्त - .. " हरित मुनिसुव्रतनाथ. नेमनाथ : . . ." " श्याम ....... यह कथन ध्यानोग्य है कि अहत भगवान के शरीर का वर्ण सुवर्ण, लाल, हरित, श्वेत और श्याम है तभी हमारे अजैन भाइयों को आपने कहते हुए सुना होगा, काले राम, पोले राम, हरे राम :(गोरे)सफेद.राम,लाल राम-विचारनीय बात है कि गम शहद यहाँ श्री रामचन्द्रजी. से मतलव नहीं है परंतु भगवान से। और भी रामचंद्रजों से मतलब लिया जावे तो एक शरीरं इतने रङ्ग नहीं हो सकने इस लिए यह स्वयं सिदना कि ."पमं भगवान से मतलव है श्री रामचंद्र जी का श्वेत-वर्ण था. वे भी अन्ति भगवान होकर थी मांगी तुङ्गो से सिद्ध हो गऐ है देखो भी ‘पनपण: ( जैनारामायण जैनी लोग उनकी भी पूजा . वंदना करते हैं।

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