________________
.
.
(.22 ) ज़ी जैन जाति भूपला महामंत्री भी दिगम्बर जैन मालया प्रांतिक सभा पहनगर. (मालया ) राजपूताना को.. फोटिशः धन्यवाद है कि.तभा और औषधालय द्वारा भारत वर्ष में अचित्य लाभ पहुंचा रहे हैं। .... आशा...है कि जहां तहां ऐसे गथा को दशा को वहां के रज्जन व पंच खुद रक्षा करेंगे । मानवां की सभा के निोदन पर भी संदेव अवश्य ध्यान देने को सपा कोंगे। " : : जिनवाणों की रक्षा और स्वाध्याय करना कराना हम जैनियों का परम कर्तव्य होना चाहिए । इन कायों में मन वचन काय और धन लंगाना महा पुण्य और यश का कारण है हम कार्यों में धन लगाना मानो साथ में लेजाना है। कोठरियों में,
आलंय में, संदूकों में जिनवाणी को रक्षा टोंक २ नहीं होती है इस लिए हमको बड़े सज-धन से घडी राजमारियों में विराजमान रखना चाहिए जहां हवा लगती रहें और दर्शकों को दर्शन "मिलते रहे तथा पूजादि भी होती रहे। जीर्ण शीर्ण कर सदा के लिए जलांजलि न दोजिए । हृदय फटा जाता है इस महा अधिनय को रूपयासिंक कर प्रबंध करिए ज्ञान के विनय में केवल शान का घध है । ऐले अंगमाहीया..की.चापीपक स्यानोग अपमादी पिनय वान भाई के पास रहना चाहिए ताकि यह सरस्वती का सर्व कार्य करें. और खाध्याय करने बालों का मम्बर पढ़ावे । सूची रजिस्टर वगैरहः संव रखने चाहिए शास्त्रजी हमारे गुरुओं की जगह पर हैं पियो कि गुमंत्री के दर्शना कठिन हो गए हैं।
Sita॥ शंका
का समाः
:यदि कोई शंका करे क्या जैनी धान इस प्रकार है- निगुरा: उसको कहते हैं,जो गुरु को नहीं
मानता हो । जैनो लोगों के गुरुत्रों का स्वरूप पहले वर्णन कर . के हैं जिन के गुण सर्वोत्कष्ट होते हैं और उनका प्रभाव नहीं ।