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भक्तामर यंत्र - ११
Bhaktamara Yantra - 11
दृष्टवा भवन्तमनिमेषविलोकनीयं
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क्षारं जलं जलनिधे रसितुं क इच्छेत्? ॥११॥
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नान्यत्र तोषमुपयाति जनस्य चक्षुः।
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ऋद्धि-ॐ हाँ अर्ह णमो पत्तेयबुद्धीणं ।
मंत्र-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्राँ श्रीँ कुमतिनिवारिण्यै महामायायै नमः स्वाहा । प्रभाव-इच्छित को आकर्षित करता है, वर्षा को विवश करता है ।
Invoking rains and fulfilling wishes.
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