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भक्तामर यंत्र - २८
Bhaktamara Yantra-28
उच्चैरशोकतरुसंश्रितमुन्मयूख “न ही अहँ णमो महातवाणं। ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं
बिम्बं रवेरिव पयोधरपार्श्ववर्ति ॥२८॥ सर्वसिद्धिसम्पत्तिसौख्यं कुरु कुरु स्वाहा ।
ह्रीं ह्रीं ह्रीं “ने नमो भगवते जय विजय माभाति रूपममलं भवतो नितान्तम् ।
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ऋद्धि-ॐ हीं अर्ह णमो महातवाणं । मंत्र-ॐ नमो भगवते जये विजये जृम्भय जृम्भय मोहय मोहय सर्वसिद्धि सम्पत्तिसौख्यं कुरु कुरु
स्वाहा । प्रभाव-सारे मनोरथ सिद्ध होते हैं, सौभाग्य, कीर्ति और लक्ष्मी की वृद्धि होती है । Fulfilling wishes and increasing fame fortune and wealth.
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