________________
भक्तामर यंत्र - ३४
Bhaktamara Yantra - 34
योतन्मदाविलविलोलकपोलमूलन ही अहँ णमो मणबलीणं।"
भयं भवति नो भवदाश्रितानाम् ॥३४॥ देवि शासनदेवते ही नमो नमः स्वाहा। दृष्ट्वा
धानः नमः
"ने नमो भगवत्ति अष्टमहानाग कुलोच्चाटिनि मत्त भ्रमभ्रमरनादविवृद्धकोपम्।
नहीं शविजयरणरणाग्रे गाग्री
६ ६ ६ ६१ businesh that
ऋद्धि-ॐ हीं अहँ णमो मणवलीणं । मंत्र-ॐ नमो भगवति अष्टमहानाग कुलोच्चाटिनि कालदष्ट मृतकोत्थापिनि
परमन्त्रप्रणाशिनि देवि शासनदेवते ही नमो नमः स्वाहा ।
प्रभाव हाथी का मद उतरता है और समृद्धियाँ बढती है । Becalming the rogue elephant and increasing the prosperity.
Jain Education International 2010_04
135 www.jainelibrary.org
For Private & Personal Use Only