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अध्याय ४३ : बिदा
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जायंगे । तबतक यदि युद्ध जारी रहा तो उसमें मदद करनेके और भी बहुत अवसर मिल जायंगे । नहीं तो जो कुछ आपने यहां किया है उसे भी मैं कम नहीं समझता ।" मुझे उनकी यह सलाह अच्छी मालूम हुई और मैंने देस जानेकी' तैयारी की ।
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बिदा
मि केलनबेक देस जानेके निश्चयसे हमारे साथ रवाना हुए थे । विलायत में हम साथ ही रहते थे । युद्ध शुरू हो जानेके कारण जर्मन लोगोंपर खूब कड़ी देखरेख थी और हम सबको इस बातपर शक था कि केलनबेक हमारे साथ आ सकेंगे या नहीं । उनके लिए पास प्राप्त करनेका मैंने बहुत प्रयत्न किया । मि० राबर्ट्स खुद उन्हें पास दिला देनेके लिए रजामंद थे । उन्होंने सारा हाल तार द्वारा बाइसरायको लिखा, परंतु लार्ड हार्डिजका सीधा और सूखा जवाब आया-- "हमें अफसोस है, हम इस समय किसी तरह जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं हैं । हम सबने इस जवाब के औचित्य को समझा । केलनबेकके वियोगका दुःख तो मुझे हुआ ही, परंतु मैंने देखा कि मेरी अपेक्षा उनको ज्यादा हुआ । यदि वह भारतवर्ष में आ सके होते तो आज एक बढ़िया किसान और बुनकरका सादा जीवन व्यतीत करते होते । श्रव वह दक्षिण अकीका अपना वही असली जीवन व्यतीत करते हैं और स्थपति ( मकान बनानेवाले) का धंधा मजेसे कर रहे हैं ।
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हमने तीसरे दरजेका टिकट लेनेकी कोशिश की; परंतु 'पी एंड प्रो' के जहाजमें तीसरे दरजे का टिकट नहीं मिलता था, इसलिए दूसरे दरजेका लेना पड़ा । दक्षिण अफ्रीकासे हम कितना ही ऐसा फलाहार साथ बांध लाये थे जो जहाजोंमें नहीं मिल सकता । वह हमने साथ रख लिया था और दूसरी चीजें जहाजमें मिलती ही थीं ।
डाक्टर मेहताने मेरे शरीरको मीड्स प्लास्टरके पट्टेसे बांध दिया था और मुझे कहा था कि पट्टा बंधा रहने देना । दो दिनके बाद वह मुझे सहन न हो