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अध्याय २६ : ऐक्यके प्रयत्न
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करने या स्वत्व गंवाकर किसीको खुश करना मैं जानता ही नहीं था; किंतु मैं वहींसे यह भी समझता आया था कि मेरी अहिंसाकी कसौटी और उसका विशाल प्रयोग इस ऐक्यके सिलसिलेमें ही होनेवाला है । अब भी मेरी यह राय कायम है। प्रतिक्षण मेरी कसौटी ईश्वर कर रहा है। मेरा प्रयोग आज भी जारी है ।
इन विचारोंको साथ लेकर मैं बंबईके बंदरपर उतरा था । इसलिए इन भाइयोंका मिलाप मुझे अच्छा लगा। हमारा स्नेह बढ़ता था। हमारा परिचय होने के बाद तुरंत ही सरकारने अलीभाइयोंको जीते-जी ही दफ़न कर दिया था। मौलाना मुहमदअलीको जब-जब इजाजत मिलती, वह मुझे बैतूलजेलसे या छिंदवाड़ा जेलसे लंबे-लंबे पत्र लिखा करते थे। मैंने उनसे मिलने जानेकी प्रार्थना सरकारसे की मगर उसकी इजाजत न मिली ।
___ अली भाइयोंके जेल जानेके बाद कलकत्ता मुस्लिम-लीगकी सभामें मुझे मुसलमान भाई ले गये थे। वहां मुझसे बोलनेके लिए कहा गया था। मैं बोला । अली भाइयोंको छुड़ानेका धर्म मुसलमानोंको समझाया ।।
इसके बाद वे मुझे अलीगढ़-कॉलेजमें भी ले गये थे । वहां मैंने मुसलमानोंको देशके लिए फकीरी लेनेका न्योता दिया था ।
अली भाइयोंको छुड़ाने के लिए मैंने सरकारके साथ पत्र-व्यवहार चलाया। इस सिलसिलेमें इन भाइयोंकी खिलाफत-संबंधी हलचलका अध्ययन किया। मुसलमानोंके साथ चर्चा की। मुझे लगा कि अगर मैं मुसलमानोंका सच्चा मित्र बनना चाहूं तो मुझे अली भाइयोंको छुड़ानेमें और खिलाफतका प्रश्न न्यायपूर्वक हल करने में पूरी मदद करनी चाहिए। खिलाफतका प्रश्न मेरे लिए सहल था। उसके स्वतंत्र गुण-दोष तो मुझे देखने भी नहीं थे। मुझे ऐसा लगा कि उस संबंधमें मुसलमानों की मांग नीति-विरुद्ध न हो तो मुझे उसमें मदद देनी चाहिए। धर्मके प्रश्नमें श्रद्धा सर्वोपरि होती है। सबकी श्रद्धा एक ही वस्तुके बारेमें एक ही सी होतो फिर जगत्में एक ही धर्म हो सकता है। खिलाफतसंबंधी मांग मुझे नीति-विरुद्ध नहीं जान पड़ी। इतना ही नहीं, बल्कि यही मांग इंग्लैंडके प्रधानमंत्री लाइड जार्जने स्वीकार की थी, इसलिए मुझे तो उनसे अपने वचनका पालन कराने भरका ही प्रयत्न करना था। वचन ऐसे स्पष्ट शब्दोंमें थे कि मर्यादित गुणदोषकी परीक्षा मुझे महज अपनी अन्तरात्माको प्रसन्न करनेकी