________________
14
अन्तर के पट खोल
भी, तो हम वह न रहेंगे, जो आम तौर पर प्राणी जन्म-मरण के बीच धक्का खाते जीता है। हम शाश्वत बन जायेंगे - समय की हर सीमा के पार।
अतीत और भविष्य की उठापटक से मुक्त होने के लिए हम वर्तमान के अनुपश्यी हों और फिर शाश्वतता की ओर कदम बढ़ाने के लिए हम धीरे-धीरे वर्तमान से भी उपरत होते जाएँ। अतीत, वर्तमान और भविष्य की उठापटक का नाम ही समय है। इन तीनों से मुक्त होने का नाम ही जीवन-मुक्ति है।
चूँकि हम शाश्वत बन सकते हैं, इसीलिए कह रहा हूँ। हमारे पास ऐसी क्षमता है, प्राणीमात्र के पास क्षमता है। हम बीज हैं। बीज फूल बन सकता है। फूल खिलेगा अपने निजत्व से। हम डूबें अपनी समग्र निजता में।
हम ध्यान में डूबें। अपने साथ एकाकार हों। अन्तर्मन से, अन्तर्हृदय से एकाकार हों। हम स्वयं को शांतिमय बनाएँ, आनंदमय बनाएँ। हम अतीत की फिक्र न करें। अतीत यानी जो हो चुका, धारा बह गई। जो हो गया, सो हो गया। चाहे वह अच्छा हुआ या बुरा। जो गोली बंदूक से निकल चुकी, उसके बारे में क्या सोचना। सोचना है, चिंतन-मनन करना है तो उस पर करो, जो नज़र के सामने है। ‘बीती ताहि बिसारि दे'- मन की शांति का यह सबसे सरल मंत्र है।
बीत गई सो बात गई, तकदीर का शिकवा कौन करे।
जो तीर कमाँ से निकल गया, उस तीर का पीछा कौन करे।
जो बीत गया, सो अतीत हो गया। मनीषियों की सलाह है - बीती ताहि बिसारि दे। जो है, उसका तहेदिल से स्वागत करें। जो है, वह स्वीकार्य है। संभव है, प्राप्त चीजें हमें संतुष्ट न कर पाएँ, पर भगवान के प्रति कृतज्ञता निवेदित करें, क्योंकि जो मिल रहा है, वह भाग्य से एक रत्ती भी कम नहीं मिल रहा है। संभव है, इससे
और बदतर स्थिति आ सकती थी। यदि आपके पास पहनने को जूते नहीं हैं, तो शिकायत मत कीजिए। कइयों के पास तो पाँव ही नहीं हैं। संतुष्ट और आनंदित रहना सीखें।
भविष्य की झलकियों को अपनी आँखों की टिमटिमाहट से दूर रखें। जो अभी है ही नहीं, उसके बारे में जो 'है' उसे दाँव पर क्यों लगाना ? भविष्य जिस रूप में भी वर्तमान बनेगा, प्रसन्नतापूर्वक उसकी अगवानी करेंगे। हम निहारें बीज को; उसे सींचें। फल वही निष्पन्न होगा, जो उस बीज से संभावित है। बीज कैसा था, इसका परिचय हम फल से ही पा सकते हैं। हम आकाश में थेगले लगाना छोड़ें, छलाँगें खूब मार लीं, अब जिएँ वास्तविकता में।
मैंने कहा वर्तमान के लिए, किंतु यह सिर्फ इसलिए ताकि व्यक्ति उन उलझनों से मुक्त हो सके, जिनका संबंध अतीत-भविष्य के अंतर्द्वन्द्व से है। वर्तमान के उपयोग
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org