Book Title: Antar ke Pat Khol
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 136
________________ तुर्या : भेद-विज्ञान की पराकाष्ठा 135 उसे मन में सोचकर सो जाओ। आश्चर्य ! तुम्हें स्वप्न में वही सब कुछ नजर आने लग जाएगा। स्वप्न-विज्ञान पर बहुत खोज की गई है। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियाँ केवल नक्षत्रों से मिले संकेत ही नहीं हैं, अपितु स्वप्न में देखी गई स्थितियों के भी संकेत हैं। मन के जंजाल के चलते आने वाले सपने निस्सार होते हैं, पर सपनों के प्रति सावधान ! तुम्हें सार्थक सपने भी अनुभूत हो सकते हैं। यहूदी संत मजीद के जीवन से जुड़ी हुई एक अनूठी घटना है। कहते हैं : मजीद को एक रात सपना आया। सपने में उसने देखा कि कोई उसे कह रहा है, मजीद! तू यहाँ बैठे क्या कर रहा है? तू दुःखी, तेरी पत्नी दु:खी। जा यहाँ से राजधानी में । राजधानी का नाम है वार्सा । वहाँ पुलिए के पास वृक्ष है। वृक्ष के नीचे सिपाही खड़ा रहता है। उसी वृक्ष की जड़ों में खजाना गड़ा है। जा, और ले आ। मजीद सपने को देखकर चौंका। पर उसने सोचा, सपना है, और सपना कभी सच नहीं होता। पर दूसरे दिन भी उसे वैसा ही सपना आया। उसने फिर मन को समझाया कि सपने सागर की लहरों की तरह आते-जाते हैं। पर तीसरे दिन भी, उसने रात में वही सपना देखा। इस बार उसे लगा कि एक ही सपना बार-बार आ रहा है। जरूर इसमें कुछ रहस्य है। तहकीकात करनी चाहिए। वह लंबी दूरी तय कर वार्सा पहुँचा। देखा, नगर के बाहर पुलिया है, बिल्कुल वैसा ही जैसा सपने में दिखाई दिया था। वैसा ही वृक्ष और वृक्ष के नीचे सिपाही। उसे अब विश्वास हो आया कि जरूर मामले में दम है। वह वृक्ष के पास पहुँचा। पर सिपाही था, सो लौट आया। सोचा, रात को आता हूँ। रात को वह पहुँचा, पर इस बार सिपाही को उस पर संदेह हो आया। उसने उसे पकड़ लिया। कहा, जरूर दाल में कुछ काला है। सच बोलो, क्या करने आए थे ? वरना जेल की हवा खानी पड़ेगी। मजीद ने आखिर वह सच कह दिया, जो उसने सपने में देखा था। सिपाही उसकी बात सुन हँस पड़ा। उसने कहा – बेवकूफ ! अगर मैं तेरी तरह सपने में विश्वास करता, तो मैं आज क्राका गाँव में होता। सिपाही ने बताया कि वह भी लगातार तीन दिन से एक ही सपना देख रहा है कि क्राका गाँव में मजीद नाम का कोई संत है। उसकी झोंपड़ी में चूल्हे के पास जमीन में धन गड़ा है। मैं जाऊँ और खोदकर उसे पा लूँ। सिपाही और कुछ बोले, उससे पहले ही मजीद ने कहा, क्या यह सच है ? सिपाही ने कहा, सच होता, तो वह अब तक मजीद की झोपड़ी में पहुँच चुका होता, पर यह वास्तव में सपना है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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