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ॐ : सार्वभौम मंत्र
जाएगा। बिना 'ओम्' के हर धर्म अधूरा है। धर्म जीवन का स्वभाव है, वह साँसों में रमने वाला व्यक्तित्व है। 'ॐ' तो अस्तित्व की परम उपज और चरम झंकृति है ।
ओम् जहाँ भी गया, जिस रूप में भी गया, सबका आराध्य और मंत्रों का ताज बनकर रहा। यदि भारतवासियों को अपने अध्यात्म का एक ही प्रतीक विश्व के सामने पेश करना हो, तो 'स्वस्तिक' और उसके नाभिस्थल में 'ओम्' को दर्शाना चाहिए। अब तो ईसाइयत भी ओम् को स्वीकार करने लग गई है । ईसाई लोग भी यह मानने लग गए हैं कि उनका 'आमीन' उच्चारण वास्तव में 'ओम्' का ही अपभ्रंश या परिवर्तित रूप है। जब मैंने एक 'चर्च' पर क्रॉस के बीच 'ओम्' को प्रतिष्ठित देखा, तो मुझे लगा कि ईसाइयों का यह प्रतीक अध्यात्म और कर्मयोग का संगम है। 'ओम्' भारत से यहूदी देश पहुँचते-पहुँचते 'आमीन' हो गया और 'स्वस्तिक' 'क्रॉस' । 'क्रॉस' स्वस्तिक का ही परिवर्तित रूप है। आखिर स्वस्तिक ने कितनी लंबी-चौड़ी यात्रा की । यात्रा में वह घिसा भी, कटा भी और फिर जो रूप बचा, उसे हम आज क्रॉस के रूप में देख रहे हैं।
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स्वस्तिक केवल कर्मयोग का ही परिचायक नहीं है, वरन् स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। 'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' ने रेड क्रॉस' का चिह्न स्वास्थ्य एवं चिकित्सा प्रतीक के रूप में माना है । उसकी 'स्वस्तिक' से बड़ी समानता है। रेड क्रॉस का संबंध मात्र स्वास्थ्य-सेवा से है, जबकि स्वस्तिक का संबंध जीवन की समग्रता से । 'स्वस्तिक' गति है और 'ओम्' शांति । विकास और आनंद, दोनों का संदेशधारी है यह। ‘स्वस्तिक' क्रॉस बना, तो 'ओम्' का भी स्वरूप बदला ।
'ॐ' केवल शब्द नहीं है । शब्द के रूप में उसे लिखा भी नहीं जाता। 'ॐ' तो चित्र है। नि:शब्द की यात्रा में शब्द छूट जाता है और चित्र उभर आता है। इसलिए हम 'ओम्' न लिखकर 'ॐ' लिखते हैं। हमें 'ॐ' लिखने का ऐसा अभ्यास हो गया है कि वह हमें चित्र के बजाय शब्द ही लगने लग गया है। किसी चित्र को बनाने के लिए तूलिका चाहिए, पर 'ॐ' तो कथनी और लेखनी के साथ इतना जुड़ गया है कि उसका चित्र कलम से ही पूरा हो जाता है। एक बच्चा भी चित्र बना सकता है 'ॐ' का । जो 'अ' लिख सकता है, वह 'ॐ' भी लिख सकता है। 'ॐ' चित्र-रूप में रहा। जैसलमेर के प्राच्य भंडारों में 'ॐ' के विभिन्न रूपों में कई चित्र उपलब्ध है।
ॐ की आकृति पर कभी आपने ध्यान दिया ? हर व्यक्ति शुभ अथवा मंगल कार्य के लिए 'श्री गणेशाय नमः' लिखता है । ॐ की आकृति स्वयं में ही गणेश रूप को लिए हुए हैं।
'ॐ' शब्द-रूप में भी रहा। 'ॐ' का इस्लाम से भी संबंध है। 'ॐ' का 'अ'
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