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मुस्लिम युगीन मालवा का जैन पुरातत्व
तेजसिंह गौड़, एम. ए. रिसर्च स्कालर
संवत १३६७ के पश्चात् मालवा मे राजपूतो का (४) छपेरा:-यह ग्राम जिला रायगढ़ (ब्यावरा) प्रभाव पहले जैसा नही रहा। जब जयसिंह देव चतुर्थ मे है । यहाँ कुछ जैन मूर्तियाँ मिली है जिन पर कुछ लेख मालवा में राज्य कर रहा था तब मुसलमानों ने बडा भी उत्कीर्ण है। उत्पात मचाया था। एक प्रकार से जयसिह देव चतुर्थ इसके अतिरिक्त इस युग की कुछ और जैन प्रतिमाएं अन्तिम राजपूत राजा था। राजपूत कालीन जैन पुरा- मिलती है जिन पर लेख उत्कीर्ण है। लेख मे अंकित तत्व के विषय मे मैं अपने एक निवन्ध' के द्वारा प्रकाश संवत के आधार पर वे प्रतिमाएँ इस काल की प्रमाणित डाल चुका हूँ । इस लघु निबन्ध में मुस्लिम युगीन मालवा होती हैं। एक प्रतिमा पर स० ६१२ का लेख उत्कीर्ण के जैन पुरातत्व पर प्रकाश डालने का प्रयास किया जा है। इसमे इस मूर्ति की प्राचीनता सिद्ध होती है। किन्तु रहा है।
वस्तुस्थिति ऐसी नहीं है । श्री नन्दलाल लोढा' का कहना जयसिह देव चतुर्थ के उपरान्त मालवा के मुसलमान है कि इस लेख में संवत ६१२ विचारणीय है, क्योकि इस शासका के अधीन चला गया। इस काल में जन मान्दरा समय मांडवगढ के अस्तित्व का कोई प्रमाण उपलब्ध नही, का निर्माण प्रचुर मात्रा मे नही हो पाया तथापि कही
उपलब्ध प्रमाणो से तो सवत १७१ के महाराजा वाक्पतिकही इस काल के बने हुए मन्दिरो के भग्नावशेष उपलब्ध
भग्नावशेष उपलब्ध राज के पुत्र वैरीसिह की अधीनता मे मॉडवगढ़ का होना होते है जो इस प्रकार है :
प्रमाणित हुअा है । इसके पहले के प्रमाण अभी मिले नही (१)कोठड़ी :-यह ग्राम मन्दसौर जिले की गरोठ
हैं। अत: यह शायद स० १६१२ सम्भावित दिखता है। तहसील से २४ मील की दूरी पर स्थित है। यहा पर
इन जमाने में मांडवगढ के महमूद खिलजी के दीवान १४वीं शताब्दी का एक जैन मन्दिर है जो बाद में ब्राह्मण
चॉदाशाह का उल्ले व इतिहास में मिलता है। सम्भव है धर्म के मन्दिर रूप में परिवर्तित कर लिया गया है।
कि इस लेख में धनकुबेर के विशेषण से उल्लिखित शा. (२) मामौन :-यह ग्राम गुना जिले में स्थित है। चन्द्रसिह शायद ये ही चांदाशाह हो । यह प्रतिमा तारापूर यहाँ हिन्दू व जैन मन्दिरो के समूह उपलब्ध हुए है। तीर्थ से सम्बन्धित है और लेख निम्नानुसार है - मूर्तियाँ भी मिली है तथा मन्दिरो में नक्काशी का काम
___ "सबत ६१२ वर्ष शुभ चैत्रमासे शुक्ले च पचम्या
तिथौ भौमवामरे श्रीमडपदुर्ग मध्यभागे तारापुर स्थित (३) चैनपुरा :-यह ग्राम मन्दसौर जिले मे है ।
पार्श्वनाथ प्रसादे गगनचुम्बी-(बि) शिखरे श्री चन्द्रप्रभ यहाँ एक दीर्घकाय जैन प्रतिमा मिली है। यह प्रतिमा
बिम्बस्य प्रतिष्ठा कार्या प्रतिष्ठाकर्ता च धनकुबेर शा० आजकल भानपुरा में है।
चन्द्रसिंहस्य भार्या जमुनापुत्र श्रेयार्थ प्र. जगच्चन्द्र १. अनेकान्त ।
सूरिभि.।" 2. Bibliography of Madhyabharat Part 1
मालवा के सुल्तान श्री गयासुद्दीन के ममय का एक पृष्ठ 29. ३. वही पृष्ठ २४ ।
५. वही पृष्ट । 7. Bibliography of Madhya Bharat part 1 ६. मांडवगढ तीर्थ पृष्ठ ४३-४४ । पृष्ठ ८ ।
७. जैन तीर्थ सर्वस ग्रह भाग २ पृष्ठ ।