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दीप - पर्व
भारतीय जन-जीवन सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्व - प्रवाहों का एक सुन्दर सुरम्य जौर सरस संगम स्थल रहा है । इस महाद्वीप के भव्य धरातल पर जितने मधुर पर्व स्रोतों का प्रवाह प्रवाहित होता रहा है, अन्य देशों में वह दुर्लभ होगा । यहाँ पर होली, दिवाली, राखी और विजय दशमी ये राष्ट्रीय पर्व माने जाते हैं । रामनवमी, कृष्णाष्टमी और वीर जयन्ती ये भिन्न-भिन्न युग की भिन्न-भिन्न संस्कृति के प्रतीक । ऐसा विदित होता है कि भारत के क्रान्तदर्शी जन नायकों ने अपने विशाल विचार और विराट चिन्तन के आधार पर अपने-अपने युग की भावना के अनुरूप इन पवं प्रवाहों का सामाजीकरण करते समय भारत की कोटि-कोटि जनता के आध्यात्मिक और दैहिक बिकास का पूरा-पूरा ध्यान रखा है । यही हेनु है कि यहाँ के प्रत्येक पर्व की पृष्ठभूमि में किसी न किसी प्रकार से आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावना को नत्थी कर दिया है । महापुरुषों के जीवन से सम्बद्ध पर्वों में आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक भावना नत्थी रहे, इसमें तो विस्मय की बात ही कौन-सी है ? परन्तु, जन-जीवन के पर्वों में भी यहाँ पर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावना अनुगत है ।
प्रस्तुत दीपावली पर्व को ही लीजिए। यह पर्व एक विशुद्ध सामाजिक पर्व है । परन्तु इसका सम्बन्ध भी यहाँ की संस्कृतिक से, यहाँ के धर्म
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