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दिशा के बदलने से दशा बदलती है १२६ ओर बढ़ना है । जीवन की सही दिशा की ओर चलना है। अपने लक्ष्य और ध्येय की ओर चलना है ।
जैन धर्भ की अपनी भाषा में हम कह सकते हैं-"मिथ्यात्व से हट कर सम्यक्त्व की ओर बढ़ना, अज्ञान से सम्यग्ज्ञान की ओर बढ़ना और मिथ्या चारित्र से सम्यक् चारित्र की ओर बढ़ना वस्तुतः प्रगति की ओर बढ़ना है।" अपने स्थिर लक्ष्य की ओर बढ़ना है। सुख, शान्ति और आनन्द का यही मार्ग है । दशा सुधारने का यही मार्ग है। अपनी दिशा बदलो, दशा अवश्य बदलेगी।
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