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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
परिणत होता है, कदाचित् कम्पित नहीं होता, यावत् परिणत नहीं होता । कदाचित् एक देश से कम्पित होता है, एक देश से कम्पित नहीं होता । भगवन् ! क्या त्रिप्रदेशिक स्कन्ध कम्पित होता है, यावत् परिणत होता है ? गौतम ! कदाचित् कम्पित होता है, कदाचित् कम्पित नहीं होता; कदाचित् एक देश से कम्पित होता है, और एक देश से कम्पित नहीं होता; कदाचित् एक देश से कम्पित होता है, और बहुत देशों से कम्पित नहीं होता; कदाचित् बहुत देशों से कम्पित होता है और एक देश से कम्पित नहीं होता ।
भगवन् ! क्या चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध कम्पित होता है ? गौतम ! कदाचित् कम्पित होता है, कदाचित् कम्पित नहीं होता; कदाचित् उसका एकदेश कम्पित होता है, कदाचित् एकदेश कम्पित नहीं होता; कदाचित् एकदेश कम्पित होता है, और बहुत देश कम्पित नहीं होते; कदाचित् बहुत देश कम्पित होते हैं और एक देश कम्पित नहीं होता; कदाचित् बहुत देश कम्पित होते हैं और बहुत देश कम्पित नहीं होते । जिस प्रकार चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के विषय में कहा गया है, उसी प्रकार पंचप्रदेशी स्कन्ध यावत् अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक कहना ।
[२५४] भगवन् ! क्या परमाणु पुद्गल तलवार की धार या उस्तरे की धार पर अवगाहन करके रह सकता है ? हाँ, गौतम ! वह अवगाहन करके रह सकता है ।।
भगवन् ! उस धार पर अवगाहित होकर रहा हुआ परमाणुपुद्गल छिन्न या भिन्न हो जाता है ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । परमाणुपुद्गल में शस्त्र क्रमण (प्रवेश) नहीं कर सकता । इसी तरह यावत् असंख्यप्रदेशी स्कन्ध तक समझ लेना चाहिए । भगवन् ! क्या अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तलवार की धार पर या क्षुरधार पर अवगाहन करके रह सकता है ? हाँ, गौतम ! वह रह सकता है । भगवन् ! क्या तलवार की धार को या क्षुरधार को अवगाहित करके रहा हुआ अनन्तप्रदेशी स्कन्ध छिन्न या भिन्न हो जाता है ? हे गौतम ! कोई अनन्तप्रदेशी स्कन्ध छिन्न या भिन्न हो जाता है, और कोई न छिन होता है, न भिन्न होता है ।
___ जिस प्रकार छेदन-भेदन के विषय में प्रश्नोत्तर किये गए हैं, उसी तरह से ‘अग्निकाय के बीच में प्रवेश करता है। इसी प्रकार के प्रश्नोत्तर कहने चाहिए । किन्तु अन्तर इतना ही है कि जहाँ उस पाठ में सम्भावित छेदन-भेदन का कथन किया है, वहाँ इस पाठ में 'जलता है' इस प्रकार कहना । इसी प्रकार पुष्कर-संवर्तक नामक महामेघ के मध्य में प्रवेश करता है, इस प्रकार के प्रश्नोत्तर कहने चाहिए । किन्तु वहाँ सम्भावित 'छिन्न-भिन्न होता है' के स्थान पर यहाँ-भीग जाता है,' कहना । इसी प्रकार 'गंगा महानदी के प्रतिस्त्रोत में वह परमाणुपुद्गल आता है और प्रतिस्खलित होता है । इस तरह के तथा 'उदकावर्त या उदकबिन्दु में प्रवेश करता है, और वहाँ वह विनष्ट होता है,' (इस तरह के प्रश्नोत्तर कहना ।)
[२५५] भगवन् ! क्या परमाणु-पुद्गल सार्ध, समध्य और सप्रदेश है, अथवा अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश है ? गौतम ! (परमाणुपुद्गल) अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश है, किन्तु, सार्द्ध, समध्य और सप्रदेश नहीं है । भगवन् ! क्या द्विप्रदेशिक स्कन्ध सार्ध, समध्य और सप्रदेश है, अथवा अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश है ? गौतम ! द्विप्रदेशी स्कन्ध, सार्ध, अमध्य और सप्रदेश है, किन्तु अनर्ध, समध्य और अप्रदेश नहीं है ।
भगवन् ! क्या त्रिप्रदेशी स्कन्ध सार्ध, समध्य और सप्रदेश है, अथवा अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश है । गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध अनर्ध है, समध्य है और सप्रदेश है; किन्तु सार्ध