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भगवती-९/-/३२/४५४
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भगवन् ! दो तिर्यञ्चयोनिक जीव, तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हए क्या एकेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न । गांगेय ! एकेन्द्रियों में होते हैं, अथवा यावत् पंचेन्द्रियों में होते हैं । अथवा एक एकेन्द्रिय में और एकद्वीन्द्रिय में होता है । नैरयिक जीवों के समान तिर्यञ्चयोनिक प्रवेशनक के विषय में भी असंख्य तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक तक कहना ।
भगवन् ! उत्कृष्ट तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक के विषय में पृच्छा । गांगेय ! ये सभी एकेन्द्रियों में होते हैं । अथवा एकेन्द्रिय और द्वीन्द्रियों में होते हैं । नैरयिक जीवोंनो समान तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक के विषय में भी संचार करना चाहिए । एकेन्द्रिय जीवों को न छोड़ते हुए द्विकसंयोगी, त्रिकसंयोगी, चतुःसंयोगी और पंचसंयोगी भंग उपयोगपूर्वक कहने चाहिए; यावत् अथवा एकेन्द्रिय जीवों में द्वीन्द्रियों में, यावत् पंचेन्द्रियों में होते हैं ।
___भगवन् ! एकेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक से लेकर यावत् पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकप्रवेशनक तक में से कौन किससे अल्प-अल्प विशेषाधिक है ? गांगेय ! सबसे अल्प पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक हैं, उनसे चतुरिन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक विशेषाधिक हैं, उनसे त्रीन्द्रिय-तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक विशेषाधिक हैं, उनसे द्वीन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक विशेषाधिक हैं और उनसे एकेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक विशेषाधिक हैं ।
[४५५] भगवन् ! मनुष्यप्रवेशनक कितने प्रकार का कहा गया है ? गांगेय ! दो प्रकार का है, सम्मूर्छिममनुष्य-प्रवेशनक और गर्भजमनुष्य-प्रवेशनक ।
भगवन् ! दो मनुष्य, मनुष्य-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या सम्मूछि मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि (पूर्ववत्) प्रश्न | गांगेय ! दो मनुष्य या तो सम्मूर्छिममनुष्यों में उत्पन्न होते हैं, अथवा गर्भजमनुष्यों में होते हैं । अथवा एक सम्मूर्छिम मनुष्यों में और एक गर्भज मनुष्यों में होता है । इस क्रम से जिस प्रकार नैरयिक-प्रवेशनक कहा, उसी प्रकार मनुष्य-प्रवेशनक भी यावत् दस मनुष्यों तक कहना चाहिए ।
भगवन् ! संख्यात मनुष्य, मनुष्य-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए सम्मूर्छिम मनुष्यों में होते हैं ? इत्यादि प्रश्न । गांगेय ! वे सम्मूर्छिममनुष्यों में होते हैं, अथवा गर्भजमनुष्यों में होते हैं । अथवा एक सम्मूर्छिममनुष्यों में होता है और संख्यात गर्भजमनुष्यों में । अथवा दो सम्मूर्छिममनुष्यों में होते हैं और संख्यात गर्भजमनुष्यों में होते हैं । इस प्रकार उत्तरोत्तर एक-एक बढ़ाते हुए यावत् संख्यात सम्मूर्छिममनुष्यों में और संख्यात गर्भजमनुष्यों में होते हैं । भगवन् ! असंख्यात मनुष्य, मनुष्यप्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए, इत्यादि प्रश्न । गांगेय ! वे सभी सम्मूर्छिम मनुष्यों में होते हैं । अथवा असंख्यात सम्मूर्छिम मनुष्यों में होते हैं और एक गर्भज मनुष्यों में होता है । अथवा असंख्यात सम्मूर्छिम मनुष्यों में होते हैं और दो गर्भज मनुष्यों में होते हैं । अथवा इसी प्रकार यावत् असंख्यात सम्मूर्छिम मनुष्यों में होते हैं और संख्यात गर्भज मनुष्यों में होते हैं ।
भगवन् ! मनुष्य उत्कृष्टरूप से किस प्रवेशनक में होते हैं ? इत्यादि प्रश्न । गांगेय ! वे सभी सम्मूर्छिममनुष्यों में अथवा सम्मूर्छिममनुष्यों में और गर्भज मनुष्यों में होते हैं ।
भगवन् ! सम्मूर्छिममनुष्य-प्रवेशनक और गर्भजमनुष्यप्रवेशनक, इन से कौन किस से अल्प, यावत् विशेषाधिक है ? गांगेय ! सबसे थोड़े गर्भजमनुष्य-प्रवेशनक हैं, उनसे सम्मूर्छिममनुष्य-प्रवेशनक असंख्यातगुणे हैं । 3/17