Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 257
________________ २५६ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद - (द्विकसंयोगी ६ भंग) अथवा रत्नप्रभा और शर्कराप्रभा में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा और बालुकाप्रभा में होते हैं । इस प्रकार यावत् रत्नप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । (त्रिकसंयोगी १५ भंग)-अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा और बालुकाप्रभा में होते हैं । इस प्रकार यावत् रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा वालुकाप्रभा और पंकप्रभा में होते हैं । यावत् अथवा रत्नप्रभा, वालुकाप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, पंकप्रभा और धूमप्रभा में होते हैं । जिस प्रकार रत्नप्रभा को न छोड़ते हुए तीन नैरयिक जीवों के त्रिकसंयोगी भंग कहे हैं, उसी प्रकार यहाँ भी कहना चाहिए यावत् अथवा रत्नप्रभा, तमःप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । (चतुःसंयोगी २० भंग)-अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा और पंकप्रभा में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा और धूमप्रभा में होते हैं । यावत् अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, पंकप्रभा और धूमप्रभा में होते हैं । रत्नप्रभा को न छोड़ते हुए जिस प्रकार चार नैरयिक जीवों के चतुःसंयोगी भंग कहे हैं, उसी प्रकार यहाँ भी कहना चाहिए, यावत् अथवा रत्नप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । __ (पंचसंयोगी १५ भंग)-अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा और धूमप्रभा में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा और तमःप्रभा में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, धूमप्रभा और तमःपृथ्वी में होते हैं । रत्नप्रभा को न छोड़ते हुए जिस प्रकार ५ नैरयिक जीवों के पंचसंयोगी भंग कहे हैं, उसी प्रकार यहाँ भी कहना चाहिए, अथवा यावत् रत्नप्रभा, पंकप्रभा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । (षट्संयोगी ६ भंग)-अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा यावत् धूमप्रभा और तमःप्रभा में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा यावत् धूमप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा यावत् पंकप्रभा, तमःप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा और अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, पंकप्रभा, यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । अथवा रत्नप्रभा, बालुकाप्रभा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । (सप्तसंयोगी १ भंग)-अथवा रत्नप्रभा, यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होते हैं । भगवन् ! रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिकप्रवेशनक, शर्कराप्रभापृथ्वी के नैरयिकप्रवेशनक, यावत् अधःसप्तपृथ्वी के नैरयिक-प्रवेशनक में से कौन प्रवेशनक, किस प्रवेशनक से अल्प, यावत् विशेषाधिक हैं ? गांगेय ! सबसे अल्प अधःसप्तमपृथ्वी के नैरयिक-प्रवेशनक हैं, उनसे तमःप्रभापृथ्वी नैरयिकप्रवेशनक असंख्यातगुण हैं । इस प्रकार उलटे क्रम से, यावत् रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिकप्रवेशनक असंख्यातगुण हैं । [४५४] भगवन् ! तिर्यञ्चयोनिक प्रवेशनक कितने प्रकार का है ? पांच प्रकारकाएकेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकप्रवेशनक यावत् पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक । भगवन् ! एक तिर्यञ्चयोनिक जीव, तिर्यञ्चयोनिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ क्या एकेन्द्रिय जीवों में उत्पन्न होता है, अथवा यावत् पंचेन्द्रिय जीवों में उत्पन्न होता है ?

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