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भगवती-८/-/१/३८२
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पूछा- भगवन् ! पुद्गल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! पुद्गल तीन प्रकार के कहे गए हैं, वे इस प्रकार हैं-प्रयोग-परिणत, मिश्र-परिणत और विस्त्रसा परिणत ।
[३८३] भगवन् ! प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! पांच प्रकार के कहे, गए हैं, एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, द्वीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत यावत्, त्रीन्द्रिय-प्रयोगपरिणत, चतुरिन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिगत पुद्गल ।
भगवन् ! एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! पांच प्रकार के पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल, यावत् वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोगपरिणत पुद्गल । भगवन् ! पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! वे दो प्रकार के हैं, सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और बादरपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । इसी प्रकार अप्कायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोगपरिणत पुद्गल भी इसी तरह कहने चाहिए । इसी प्रकार वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-प्रयोगपरिणत पुद्गल तक प्रत्येक के दो दो भेद कहने चाहिए ।
__ भगवन् ! अब द्वीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल के प्रकारों के विषय में पृच्छा है । गौतम ! वे अनेक प्रकार के कहे गए हैं । इसी प्रकार त्रीन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलों और चतुरिन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुदगलों के प्रकार के विषय में जानना । पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलों विषय में प्रश्न। गौतम चार प्रकार के हैं, नारक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल, तिर्यञ्च-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल, मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और देवपंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल ।
नैरयिक पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलों के विषय में प्रश्न । गौतम ! सात प्रकार के हैं, रत्नप्रभापृथ्वी-नैरयिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल यावत् अधःसप्तमा पृथ्वी-नैरयिकपंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल ।।
तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गलों के विषय में प्रश्न । गौतम ! तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल तीन प्रकार के कहे गए हैं । जैसे कि जलचरतिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल, स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और खेचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । भगवन् ! जलचर तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुदगल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकार के सम्मूर्छिम जलचर-तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और गर्भज जलचरतिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । भगवन् ! स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रियप्रयोग-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकार के चतुष्पद-स्थलचरतिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और परिसर्प-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रिय-प्रयोगपरिणत पुद्गल । चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-परिणत पुद्गल कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकार के सम्मूर्छिम चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और गर्भज-चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल ।।
इसी प्रकार अभिलाप द्वारा परिसर्प-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल भी दो प्रकार के कहे गए हैं, यथा-उरःपरिसर्प-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल और भुजपरिसर्प-स्थलचर-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत पुद्गल । उरःपरिसर्प