Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 207
________________ २०६ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद कथन नैरयिक जीवों की तरह समझना | भगवन् ! अपर्याप्तक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? उनमें तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! अपर्याप्त नैरयिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! उनमें तीन ज्ञान नियमतः होते हैं, तीन अज्ञान भजना से होते हैं । नैरयिक जीवों की तरह अपर्याप्त स्तनितकुमार देवों तक इसी प्रकार कथन करना । (अपर्याप्त) पृथ्वीकायिक से लेकर वनस्पतिकायिक जीवों तक का कथन एकेन्द्रिय जीवों की तरह करना । भगवन् ! अपर्याप्त द्वीन्द्रिय ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! इनमें दो ज्ञान अथवा दो अज्ञान नियमतः होते हैं । इसी प्रकार (अपर्याप्त) पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों तक जानना । भगवन् ! अपर्याप्तक मनुष्य ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! उनमें तीन ज्ञान भजना से होते हैं और दो अज्ञान नियमतः होते हैं । अपर्याप्त वाणव्यन्तर जीवों का कथन नैरयिक जीवों की तरह समझना । भगवन् ! अपर्याप्त ज्योतिष्क और वैमानिक ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें तीन ज्ञान या तीन अज्ञान नियमतः होते हैं । भगवन् ! नोपर्याप्त-नोअपर्याप्त जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! सिद्ध जीवों के समान जानना । ___ भगवन् ! निरयभवस्थ जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! इनके विषय में निरयगतिक जीवों के समान कहना । भगवन् ! तिर्यञ्चभवस्थ जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! उनमें तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! मनुष्यभवस्थ जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! इनका कथन सकायिक जीवों की तरह करना । भगवन् ! देवभवस्थ जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! निरयभवस्थ जीवों के समान इनके विषय में कहना । अभवस्थ जीवों के विषय में सिद्धों की तरह जानना । भगवन् ! भवसिद्धिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! सकायिक जीवों के समान जानना । भगवन् ! अभवसिद्धिक जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! ये ज्ञानी नहीं, अज्ञानी हैं । इनमें तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! नोभवसिद्धिक-नोअभवसिद्धिक जीव ज्ञानी हैं अथवा अज्ञानी ? गौतम ! सिद्ध जीवों के समान कहना । ___ भगवन् ! संज्ञीजीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? गौतम ! सेन्द्रिय जीवों के समान कहना चाहिए । असंज्ञी के विषय में द्वीन्द्रिय के समान कहना चाहिए । नोसंज्ञी-नोअसंज्ञी जीवों का कथन सिद्ध जीवों की तरह जानना चाहिए । [३९३] भगवन् ! लब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? गौतम ! लब्धि दस प्रकार की कही गई है, ज्ञानलब्धि, दर्शनलब्धि, चारित्रलब्धि, चारित्राचारित्रलब्धि, दानलब्धि, लाभलब्धि, भोगलब्धि, उपभोगलब्धि, वीर्यलब्धि और इन्द्रियलब्धि । भगवन् ! ज्ञानलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? गौतम ! पांच प्रकार की, यथाआभिनिबोधिकज्ञानलब्धि यावत् केवलज्ञानलब्धि । भगवन् ! अज्ञानलब्धि कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की यथा-मति-अज्ञानलब्धि, श्रुत-अज्ञानलब्धि, विभंगज्ञानलब्धि । भगवन् ! दर्शनलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? गौतम वह तीन प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार-सम्यग्दर्शनलब्धि, मिथ्यादर्शनलब्धि और सम्यग्मिथ्यादर्शनलब्धि । __ भगवन् ! चारित्रलब्धि कितने प्रकार की है ? गौतम ! पांच प्रकार की सामायिक चारित्रलब्धि, छेदोपस्थापनिकलब्धि, परिहारविशुद्धलब्धि, सूक्ष्मसम्परायलब्धि और

Loading...

Page Navigation
1 ... 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290