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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
तीन-तपस्वीप्रत्यनीक, ग्लानप्रत्यनीक और शैक्ष-प्रत्यनीक । भगवन् ! श्रुत की अपेक्षा कितने प्रत्यनीक हैं ? गौतम ! तीन-सूत्रप्रत्यनीक, अर्थप्रत्यनीक और तदुभयप्रत्यनीक । भगवन् ! भाव की अपेक्षा ? गौतम ! तीन-ज्ञानप्रत्यनीक, दर्शनप्रत्यनीक और चारित्रप्रत्यनीक ।
[४१३] भगवन् ! व्यवहार कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! व्यवहार पांच प्रकार का कहा गया है, आगमव्यवहार, श्रुतव्यवहार, आज्ञाव्यवहार, धारणाव्यवहार और जीतव्यवहार । इन पांच प्रकार के व्यवहारों में से जिस साधु के पास आगम हो, उसे उस आगम से व्यवहार करना । जिसके पास आगम न हो, उसे श्रुत से व्यवहार चलाना । जहाँ श्रुत न हो वहाँ आज्ञा से उसे व्यवहार चलाना। यदि आज्ञा भी न हो तो जिस प्रकार की धारणा हो, उस धारणा से व्यवहार चलाना । कदाचित् धारणा न हो तो जिस प्रकार का जीत हो, उस जीत से व्यवहार चलाना । इस प्रकार इन पांचों से व्यवहार चलाना । जिसके पास जिस-जिस प्रकार से आगम, श्रुत, आज्ञा, धारणा और जीत, इन में से जो व्यवहार हो, उसे उस उस प्रकार से व्यवहार चलाना चाहिए ।
__भगवन् ! आगमबलिक श्रमण निर्ग्रन्थ क्या कहते हैं ? (गौतम) ! इस प्रकार इन पंचविध व्यवहारों में से जब-जब और जहाँ-जहाँ जो व्यवहार सम्भव हो, तब-तब और वहाँवहाँ उससे, राग और द्वेष से रहित हो कर सम्यक् प्रकार से व्यवहार करता हुआ श्रमण निर्ग्रन्थ आज्ञा का आराधक होता है । ..
[४१४] भगवन् ! बंध कितने प्रकार का है ? गौतम ! बंध दो प्रकार का ईर्यापथिकबंध और साम्परायिकबंध । भगवन् ! ईर्यापथिककर्म क्या नैरयिक बांधता है, या तिर्यञ्चयोनिक या तिर्यञ्चयोनिक स्त्री बांधती है, अथवा मनुष्य, या मनुष्य-स्त्री बांधती है, अथवा देव या देवी बांधती है ? गौतम ! ईर्यापथिककर्म न नैरयिक बांधता है, न तिर्यश्चयोनिक, न तिर्यञ्चयोनिक स्त्री बांधती है, न देव और न ही देवी बांधती है, किन्तु पूर्वप्रतिपन्नक की अपेक्षा इसे मनुष्य पुरुष और मनुष्य स्त्रियाँ बांधती हैं; प्रतिपद्यमान की अपेक्षा मनुष्य-पुरुष अथवा मनुष्य स्त्री बांधती है, अथवा बहुत-से मनुष्य-पुरुष या बहुत-सी मनुष्य स्त्रियाँ बांधती हैं, अथवा एक मनुष्य और एक मनुष्य-स्त्री बांधती है, या एक मनुष्य-पुरुष और बहुत-सी मनुष्य-स्त्रियाँ बांधती हैं, अथवा बहुत-से मनुष्यपुरुष और एक मनुष्य-स्त्री बांधती है, अथवा बहुत-से मनुष्य-नर और बहुत-सी मनुष्य-नारियाँ बांधती हैं ।।
___ भगवन् ! ऐर्यापथिक बंध क्या स्त्री बांधती है, पुरुष बांधता है, नपुंसक बांधता है, स्त्रियाँ बांधती हैं, पुरुष बांधते हैं या नपुंसक बांधते हैं, अथवा नोस्त्री-नोपुरुष-नोनपुंसक बांधता है ? गौतम ! इसे स्त्री नहीं बांधती, पुरुष नहीं बांधता, नपुंसक नहीं बांधता, स्त्रियाँ नहीं बांधती, पुरुष नहीं बांधते और नपुंसक भी नहीं बांधते, किन्तु पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा वेदरहित (बहु) जीव अथवा प्रतिपद्यमान अपेक्षा वेदरहित (एक) या (बहु) जीव बांधते हैं।
भगवन् ! यदि वेदरहित एक जीव अथवा वेदरहित बहुत जीव ऐर्यापथिक बंध बांधते हैं तो क्या १-स्त्री-पश्चात्कृत जीव बांधता है; अथवा २-पुरुष-पश्चात्कृत जीव; या ३नपुंसक-पश्चात्कृत जीव बांधता है ? अथवा ४-स्त्रीपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या ५पुरुष-पश्चात्कृत जीव, या ६-नपुंसकपश्चात्कृत जीव ? अथवा ७-एक स्त्री-पश्चात्कृत जीव और एक पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधता है, या ८-एक स्त्री-पश्चात्कृत जीव बहुत