Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 210
________________ भगवती-८/-/२/३९४ २०९ और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! इन्द्रियलब्धिरहित जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं । वे नियमतः एकमात्र केवलज्ञानी होते हैं । श्रोत्रेन्द्रियलब्धियुक्त जीवों का कथन इन्द्रियलब्धिवाले जीवों की तरह करना चाहिए । भगवन् ! श्रोत्रेन्द्रियलब्धि - रहित जीव ज्ञानी होते हैं, या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी होते हैं । जो ज्ञानी होते हैं, उनमें से कई दो ज्ञान वाले होते हैं और कई एक ज्ञान वाले होते हैं । जो दो ज्ञानवाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी होते हैं । जो एक ज्ञान वाले होते हैं, वे केवलज्ञानी होते हैं । जो अज्ञानी होते हैं, वे नियमतः दो अज्ञानवाले होते हैं यथा - मति- अज्ञान और श्रुत- अज्ञान । चक्षुरिन्द्रिय और घ्राणेन्द्रियलब्धि सहित या रहित जीवों का कथन श्रोत्रेन्द्रियलब्धि जीवों के समान करना चाहिए । जिह्वेन्द्रियलब्धि वाले जीवों में चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! जिह्वेन्द्रियलब्धिरहित जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी । गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी होते हैं । जो ज्ञानी होते हैं, वे नियमतः एकमात्र केवलज्ञान वाले होते हैं, और जो अज्ञानी होते हैं, वे नियमतः दो अज्ञान वाले होते हैं, यथा-मति - अज्ञान और श्रुत- अज्ञान । स्पर्शेन्द्रियलब्धियुक्त या रहित जीवों का कथन इन्द्रियलब्धि जीवों के समान करना चाहिए । [३९४] भगवन् ! साकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं, या अज्ञानी ? गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी होते हैं, जो ज्ञानी होते हैं, उनमें पांच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं और जो अज्ञानी होते हैं, उनमें तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं । भगवन् ! आभिनिबोधिकज्ञान-साकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? गौतम ! उनमें चार ज्ञान भजना से पाए जाते हैं । श्रुतज्ञान साकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन भी इसी प्रकार जानना । अवधिज्ञान - साकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन अवधिज्ञानलब्धिमान् जीवों के समान करना । मनः पर्यवज्ञान साकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन मनः पर्यवज्ञानलब्धिमान् जीवों के समान करना । केवलज्ञान साकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन केवलज्ञानलब्धिमान् जीवों के समान समझना । मति- अज्ञानसाकारोपयोगयुक्त जीवों में तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं । इसी प्रकार श्रुत- अज्ञानसाकारोपयोगयुक्त जीवों को कहना । विभंगज्ञान साकारोपयोगयुक्त जीवों में नियमतः तीन अज्ञान पाए जाते हैं । भगवन् ! अनाकारोपयोग वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! अनाकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी हैं । उनमें पांच ज्ञान अथवा तीन अज्ञान भजना से पाए हैं । इसी प्रकार चक्षुदर्शन और अचक्षुदर्शन अनाकारोपयोगयुक्त जीवों के विषय में समझ लेना चाहिए; किन्तु इतना विशेष है कि चार ज्ञान अथवा तीन अज्ञान भजना से होते हैं । भगवन् ! अवधिदर्शन- अनाकारोपयोगयुक्त जीव ज्ञानी होते हैं अथवा अज्ञानी । गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी । जो ज्ञानी होते हैं, उनमें कई तीन ज्ञानवाले होते हैं और कई चार ज्ञानवाले होते हैं । जो तीन ज्ञानवाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी होते हैं और जो चार ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञान से मनः पर्यवज्ञान तक वाले होते हैं । जो अज्ञानी होते हैं, उनमें नियमतः तीन अज्ञान पाए जाते हैं; यथामति- अज्ञान, श्रुत-अज्ञान और विभंगज्ञान । केवलदर्शन- अनाकारोपयोगयुक्त जीवों का कथन केवलज्ञानलब्धियुक्त जीवों के समान समझना चाहिए । 3 14

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