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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
है । भगवान् का कथन-अथवा जैसे कोई पुरुष बिलकुल नये, या धोये हुए, अथवा तंत्र से तुरंत उतरे हुए वस्त्र को मजीठ के पात्र में डाले तो हे गौतम ! उठाते हुए वह वस्त्र उठाया गया, डालते हुए डाला गया, अथवा रंगते हुए रंगा गया, यों कहा जा सकता है ? [गौतम स्वामी-] हाँ, भगवन् उठाते हुए वह वस्त्र उठाया गया, यावत् रंगते हुए रंगा गया, इस प्रकार कहा जा सकता है । [भगवान्-] इसी कारण से हे गौतम ! यों कहा जाता है कि (आराधना के लिए उद्यत साध्वी) आराधक है, विराधक नहीं है ।
[४०८] भगवन् ! जलते हुए दीपक में क्या जलता है ? दीपक जलता है ? दीपयष्टि जलती है ? बत्ती जलती है ? तेल जलता है ? दीपचम्पक जलता है, या ज्योति जलती है ? गौतम ! दीपक नहीं जलता, यावत् दीपचम्पक नहीं जलता, किन्तु ज्योति जलती है । भगवन् ! जलते हुए घर में क्या घर जलता है ? भीतें जलती हैं ? टाटी जलती हैं ? धारण जलते हैं ? बलहरण जलता है ? बांस जलते हैं ? मल्ल जलते हैं ? वर्ग जलते हैं ? छित्वर जलते हैं ? छादन जलता है, या ज्योति जलती है ? गौतम ! घर नहीं जलता, यावत् छादन नहीं जलता, किन्तु ज्योति जलती है ।
[४०९] भगवन् ! एक जीव एक औदारिक शरीर की अपेक्षा कितनी क्रिया वाला होता है ? गौतम ! वह कदाचित् तीन क्रिया वाला, कदाचित् चार क्रियावाला, कदाचित् पांच क्रिया वाला होता है और कदाचित् अक्रिय भी होता है ।
भगवन् ! एक नैरयिक जीव, दूसरे के एक औदारिकशरीर की अपेक्षा कितनी क्रिया वाला होता है ? गौतम ! वह कदाचित् तीन, कदाचित् चार और कदाचित् पांच क्रियावाला होता है । भगवन् ! एक असुरकुमार, एक औदारिकशरीर की अपेक्षा कितनी क्रियावाला होता है ? गौतम ! पहले कहे अनुसार होता है । इसी प्रकार वैमानिक देवों तक कहना । परन्तु मनुष्य का कथन औधिक जीव की तरह जानना । भगवन् ! एक जीव औदारिकशरीरों की अपेक्षा कितनी क्रियावाला होता है ? गौतम ! वह कदाचित् तीन, कदाचित् चार और कदाचित् पांच क्रियावाला तथा कदाचित् अक्रिय भी होता है । भगवन् ! एक नैरयिक जीव, औदारिकशरीरों की अपेक्षा कितनी क्रिया वाला होता है ? गौतम ! प्रथम दण्डक के समान यद दण्डक भी वैमानिक पर्यन्त कहना; परन्तु मनुष्य का कथन सामान्य जीवों की तरह जानना।
भगवन् ! बहुत-से जीव, दूसरे के एक औदारिकशरीर की अपेक्षा कितनी क्रियावाले होते हैं ? गौतम ! वे कदाचित् तीन, कदाचित् चार और कदाचित् पांच क्रिया वाले होते हैं तथा कदाचित् अक्रिय भी होते हैं । भगवन् ! बहुत-से नैरयिक जीव, दूसरे के एक औदारिकशरीर की अपेक्षा कितनी क्रिया वाले होते हैं ? गौतम ! प्रथम दण्डक अनुसार यह दण्डक भी वैमानिक पर्यन्त कहना । विशेष यह है कि मनुष्यों का कथन औधिक जीवों की तरह जानना। भगवन् ! बहुत-से जीव, दूसरे जीवों के औदारिकशरीरों की अपेक्षा कितनी क्रिया वाले होते हैं ? गौतम ! वे कदाचित् तीन, कदाचित् चार और कदाचित् पांच क्रिया वाले और कदाचित् अक्रिय भी होते हैं । भगवन् ! बहुत-से नैरयिक जीव, दूसरे जीवों के औदारिकशरीरों की अपेक्षा कितनी क्रिया वाले होते हैं ? गौतम ! तीन क्रियावाले भी, चारक्रिया वाले भी और पाँच क्रिया वाले भी होते हैं । इसी तरह वैमानिकों पर्यन्त समझना । विशेष इतना कि मनुष्यों का कथन औधिक जीवों की तरह जानना ।