________________
सुन्दरबोधिनी टीका वर्ग २ अध्य. ३-१० भद्रआदि देवांकी स्थिति २३५ सागरोपमस्थितिकः, पञ्चमः पद्मभद्रो मुनिः ५ ब्रह्मलोके पश्चमे देवलोके, उत्कृष्टदशसागरोपमस्थितिकः, षष्ठः-पद्मसेनो मुनिः ६ लान्तके तदाख्ये षष्ठे देवलोके, उत्कृष्टचतुर्दशसागरोपमस्थितिकः, सप्तमः पद्मगुल्मो मुनिः ७ महाशुक्रे सप्तमे देवलोके, उत्कृष्ट सप्तदशसागरोपमस्थितिकः, अष्टमः नलिनीगुल्मो मुनिः ८ सहस्रारेऽष्टमे देवलोके, उत्कृष्टदशसागरोपमस्थितिकः, नवमः आनन्दो मुनिः ९ माणते दशमे देवलोके उत्कृष्टविंशतिसागरोपमस्थितिकः, दशमः नन्दनो मुनिः १० द्वादशेऽच्युते देवलोके,
देवलोकमें उत्कृष्ट सात सागरोपम झाझेरी स्थितिवाले, (५) पद्मभद्रमुनि-ब्रह्म नामक पञ्चम देवलोकमें उत्कृष्ट दस सागरोपमकी स्थितिवाले, (६) पद्मसेन मुनि-लान्तक नामक छठे देवलोकमें उत्कृष्ट चौदह सागरोपमकी स्थितिवाले, (७) पद्मगुल्म मुनि महाशुक्र नामक सातवें देवलोकमें उत्कृष्ट सतरह १७ सागरोपमकी स्थितिवाले, (८) नलिनीगुल्म मुनि-सहस्रार नामक अष्टम देवलोकमें उत्कृष्ट १९ सागरोपम स्थितिवाले तथा (९) आनन्द मुनि-प्राणत नामक नवमें देवलोकमें उत्कृष्ट २० सागरोपम स्थितिवाले देवपने उत्पन्न हुए (१०) नन्दन मुनि-बारहवें अच्युत नामक देवलोकमें उत्कृष्ट २२ सागरोपमकी स्थितिवाले देवपने उत्पन्न हुए ।
(५) पद्मल मुनि-प्र नामे पाया Padxvi, (६) पमसेन भुनि-सान्त नामे છઠ્ઠા દેવલેમાં, (૭) પવગુલ્મ મુનિ-મહાશુક્ર નામે સાતમા દેવલોકમાં ગયા. (૮) નલિની ગુલ્મ મુનિ–સહસાર નામના આઠમા દેવલોકમાં જઈ દેવપણે ઉત્પન્ન थयां. (e) मान मुनि प्रात नामे हे भा गया. (१०) नहन मुनि-मा२॥ અમ્રુત નામે દેવલોકમાં ઉત્પન્ન થયા.
તેમની સ્થિતિ નીચે લખ્યા પ્રકારની છે
પદ્ધદેવની ઉત્કૃષ્ટ બે સાગરેપમ સ્થિતિ છે. મહાપદ્મની બે સાગરેપમ ઝાઝેરી (કાંઈકઅધિક) છે. ભદ્રની સાતસાગરેપમ, સુભદ્રની સાત સાગરેપમ ઝાઝેરી. વિભદ્રની
શ્રી નિરયાવલિકા સૂત્ર