Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 480
________________ सुन्दरबोधिनी टीका शास्त्र प्रशस्ति ४५३ गुणाभिरामो गुणसम्प्रचारे, सदाऽविरामो निहतस्वकामः | सुत्यक्तरामोऽपि विभाति नाम्ना, रामो मुनिः केवल इत्ययं च ॥ ७ ॥ प्रवर्तिनी झाकलवाइनाम्नी, श्रीजीकुमारेति सतोतरा च । सन्तोकबाईति परा सती च, तिस्रोऽप्यजस्रं दधते वतित्वम् ॥ ८॥ और दूसरे मुनि जो कि गुणोंसे अभिराम (सुन्दर ) हैं तथा गुणों के प्रचारमें सर्वदा लगे रहते हैं और जिन्होंने सभी सांसारिक कामनाओंका त्याग कर दिया है इस प्रकारके यह मुनिराज सुत्यक्तराम=( रामा स्त्रोके त्यागी) होनेपर भी 'राम' इस नामसे प्रसिद्ध हैं। और तीसरे विद्यार्थी केवल मुनि हैं ॥ ७ ॥ अब महासतियोंके नाम कहते हैं यहाँ पर ये महासतिया सर्वदा पञ्चमहाव्रतको धारण करती हुई विचर रही हैं, इनमें प्रथम महासतीका नाम प्रवर्तिनी श्री झाकलबाई स्वामी है, दूसरी महासतीका नाम श्री श्रीजी कुँवरबाई स्वामी है, तथा तीसरी महासतीका नाम श्री सन्तोकबाई स्वामी है। ये तीन ठाणों से स्थिरवास विराजती हैं ॥ ८॥ વળી બીજા મુનિ કે જે ગુણે વડે અભિરામ (સુન્દર) છે તથા ગુણના પ્રચારમાં સર્વદા મંડયા રહે છે તથા જેમણે સાંસારિક બધી કામનાઓને ત્યાગ ध्य छ भुनि सुत्यक्तराम राम (स्त्री) २ छ। ५ राम' mai नामथी शीली २॥ छ. अर्थात् भीon राम मुनि छ. alon केवळमुनि छे. (७). હવે મહાસતીઓનાં નામ કહે છે – અહીં સાધ્વીઓ હમેશાં પાંચ મહાવ્રત ધારણ કરતી વિચરે છે. તેમાં પ્રથમ મહાસતીનું નામ પ્રવર્તિની સારવાર્ફ રવાની છે. બીજી સતીનું નામ श्रीजीकुंवरबाई स्वामो तथा श्री सतीनु नाम श्रीसंतोकबाई स्वामी छे. मात्र थाgi स्थिरवास मिराले छे. (८). શ્રી નિરયાવલિકા સૂત્ર

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