Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय अध्ययन : तृतीय उद्देशक : सूत्र ५०४-५०५ कार्य, जासूसी, आगसह - खींचो या घसीटो, जवसाणि-जौ, गेहूँ आदि धान्य। संणिविटुं - पड़ाव डालकर पड़ा हुआ। गामपिंडोलगा- ग्राम से भीख मांग कर जीविका चलाने वाले; पसिणाणि - प्रश्न, आसा- अश्व।।
५०३. एतं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्वढेहिं [ समिते सहिते सदा जएज्जासि त्ति बेमि] ।
५०३. यही (संयमपूर्वक विहारचर्या) उस भिक्षु या भिक्षुणी की साधुता की सर्वांगपूर्णता है; जिसके लिए सभी ज्ञानादि आचाररूप अर्थों से समित और ज्ञानादि सहित होकर साधु सदा प्रयत्नशील रहे।
- ऐसा मैं कहता हूँ। ॥ द्वितीय उद्देशक समाप्त॥
तइओ उद्देसओ
तृतीय उद्देशक मार्ग में वप्र आदि अवलोकन-निषेध
५०४. से भिक्खू वा २ गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से वप्पाणि वा फलिहाणि वा पागाराणि वा ३ जाव दरीओ वा कूडागाराणि वा पासादाणि वा णूमगिहाणि वा रुक्खगिहाणि वा पव्वतगिहाणि वा रुक्खं वा चेतियकडं थूभं वा चेतियकडं आएसणाणि वा जाव भवणगिहाणि वा णो बाहाओ पगिज्झिय २ अंगुलियाए उद्दिसिय २ ओणमिय २ उण्णमिय.२ णिज्झाएजा। ततो संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेजा।
५०५. से भिक्खू वा २ गामाणुगामं दूइजमाणे, अंतरा से कच्छाणि वा दवियाणि १. (क) पाइअ-सद्द-महण्णवो
(ख) आचारांग वृत्ति पत्रांक ३८१ ।। २. अंतरा से वप्पाणि वा..' आदि कुछ पदों का विशेष अर्थ चूर्णिकार के शब्दों में - वप्पाणि ते चेव,
कूडागारं- रहसंठितं, पासाता-सोलसविहा, णूमगिहा - भूमिगिहा, भूमीघरा, रुक्खगिह-जालीसंछन, पव्वयगिहा -दरीलेणं वा, रुक्खं वा चेइयकडं - वाणमंतरठवियगं पेढं वा चिते, एवं थूभं वि। ....'
-अर्थात् वप्र-का अर्थ पूर्ववत् समझें। कूडागारं -एकान्त रहस्य संस्थान, पासाता -सोलह प्रकार के प्रासाद, णूमगिहा - भूमिगृह, रुक्खगिहं - जाली से ढका हुआ वृक्षगृह, पव्वयगिहं - गुफा या पर्वतालय, रुक्खं वा चेइयकडं-चैत्यकृत वृक्ष, जिसमें कि वाणव्यन्तर देव की स्थापना होती है। इसी प्रकार चैत्यकृत स्तूप भी समझ लेना चाहिए।
यहाँ जाव शब्द में पागाराणि वा से लेकर दरीओ वा तक का पाठ है। ४. 'कच्छाणि वा' आदि पदों का चूर्णिकारकृत अर्थ-'कच्छाणि वा-जहा णदीकच्छा, दवियं-सुवण्णा
रावणो वीयं वा, वलयं-णदिकोप्परो, णूम-भूभिघरं, गहणं-गंभीरं, जत्थ चक्कमंतस्स कंटगा साहातो