Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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आचारांग सूत्र - द्वितीय श्रुतस्कन्ध
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उक्त पदार्थ मुख्यतया पांच कोटि के व्यक्ति के अधीन होते हैं जैसे कि - १. देवेन्द्र, २. राजा (शासक), ३. गृहपति, ४. शय्यातर एवं ५. साधर्मिक साधु वर्ग; अतः अवग्रह के अधिकारी होने से ये भी पंचविध अवग्रह कहलाते हैं। स्थण्डिलभूमि, वसति आदि ग्रहण करने से पूर्व यथावसर इनकी आज्ञा लेना आवश्यक है। १ अवग्रह से सम्बन्धित विविध प्रतिज्ञाएँ (संकल्प या अभिग्रह) करना अवग्रह-प्रतिमा है। विविध प्रकार के अवग्रहों तथा उनसे सम्बन्धित प्रतिमाओं का वर्णन होने के कारण इस अध्ययन का नाम 'अवग्रह-प्रतिमा' रखा गया है। अवग्रह- प्रतिमा अध्ययन के दो उद्देशक हैं। प्रथम उद्देशक में अवग्रह-ग्रहण की अनिवार्यता एवं अवग्रह के प्रकार एवं याचनाविधि बताई है, द्वितीय उद्देशक में मुख्यतः विविध अवग्रहों की याचनाविधि का प्रतिपादन है। २ यह अध्ययन सूत्र ६०७ से प्रारम्भ होकर सूत्र ६३६ पर समाप्त होता है।
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१. (क) आचारांग नियुक्ति गा. ३१६ से ३१९ तक
(ख) आचारांग वृत्ति पत्रांक ४०१ २. आचारांग मूलपाठ एवं वृत्ति के आधार पर, पत्रांक ४०२