Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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पन्द्रहवाँ अध्ययन : सूत्र ७७८- ७७९
[ २ ] अहावरा दोच्चा भावणा -मणं परिजाणति से णिग्गंथे, जे य मणे पावए सावज्जे सकिरिए अण्हयकरे छेदकरे भेदकरे अधिकरणिए पादोसिए पारिताविए पाणातिवाइए भूतोवघातिए तहप्पारं मणं णो पधारेज्जा ।" मणं परिजाणति से णिग्गंथे, जे य मणे अपावए त्ति दोच्चा भावणा ।
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[ ३ ] अहावरा तच्चा भावणा - वइं परिजाणति से णिग्गंथे, जा य वई पाविया सावज्जा सकिरिया जाव भूतोवघातिया तहप्पगारं वई णो उच्चारेज्जा । जे वई परिजाणति से णिग्गंथे जाय वइ अपाविय त्ति तच्चा भावणा ।
[ ४ ] अहावरा चउत्था भावणा - आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिते' से णिग्गंथे णो अणादाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिते । केवली बूया - आदाणभंडनिक्खेवणाअसमिते से णिग्गंथे पाणाई भूताइं जीवाई सत्ताइं अभिहणेज वा जाव उद्दवेज्ज वा । तम्हा आयाणभंडणिक्खेवणासमिते से णिग्गंथे, णो अणादाणभंडणिक्खेवणासमिते ५ त्ति चउत्था भावणा ।
[ ५ ] अहावरा पंचमा भावणा-- आलोइयपाण - भोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणालोइयपाण भोयण भोई । केवली बूया – अणालोइयपाण - भोयणभोई से णिग्गंथे पाणाणि वा भूताणि वा जीवाणि वा सत्ताणि वा अभिहणेज वा जाव उद्दवेज्ज वा । तम्हा आलोइयपाण - भोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणालोइयपाण - भोयणभोई त्ति पंचमा भावणा । ७७९. एत्ताव ७ ताव महव्वयं (ए) सम्मं कारण फासिते पालिते तीरिए किट्टिते अवि आणाए आराहिते यावि भवति । पढमे भंते! महव्वए पाणाइवातातो वेरमणं ।
७७८. उस प्रथम महाव्रत की पांच भावनाएँ होती हैं.
(१) उनमें से पहली भावना यह है -निर्ग्रन्थ ईर्यासमिति से युक्त होता है, ईर्यासमिति से रहित नहीं । केवली भगवान् कहते हैं – ईर्यासमिति से रहित निर्ग्रन्थ प्राणी, भूत, जीव और सत्त्व का हनन करता है, धूल आदि से ढकता है, दबा देता है, परिताप देता है, चिपका देता है, या पीड़ित करता है । इसलिए निर्ग्रन्थ ईर्यासमिति से युक्त होकर रहे, ईर्यासमिति से रहित होकर नहीं। यह प्रथम भावना है।
१.
'पाणातिवाइए' के बदले पाठान्तर है— 'पाणातिवाते, 'पाणातिवातं ' ।
२. 'पधारेज्जा' के बदले पाठान्तर है- 'पहारेज्जा' ।
३. 'अपावए' के बदले पाठान्तर है— 'पाविय' 'अपाविय' ।
४. 'आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिते' के बदले पाठान्तर है-' -'आयाणभंडनिक्खेवणासमिए !
५.
'णो अणादाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिते ' के बदले पाठान्तर है- 'नो आयाणभंड निक्खेवणाअसमिए । '
६. 'पाणाणि' के बाद भूताणि आदि के बदले इस प्रकार के पाठान्तर मिलते हैं-- 'पाणाणि वा सत्ताणि वा अभि... | पाणाइ वा जीवाणि वा अभिहणेज
।'
७. 'एत्ताव ताव महव्वयं' के बदले पाठान्तर है— एताव ताव महव्वए' 'एत्तावता महव्वतं' :